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27 वर्षीय फरजाना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
साल 2014 में पति ने गैरकानूनी तरीके से तलाक दे दिया था
मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत)-1937 की धारा-दो को असंवैधानिक बताया
मामले से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील विकास सिंह को एमिकस नियुक्त किया है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 27 वर्षीय फरजाना ने बहु विवाह और निकाह-हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है.
फरजाना की शादी 25 मार्च, 2012 को मुस्लिम रीति रिवाजों से अब्दुल कादिर से हुई थी. एक वर्ष बाद फरजाना को पति की पूर्व में हुई शादी का पता चलने पर दोनों में मनमुटाव हो गया. फरजाना का आरोप है कि ससुरालियों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और पति उससे मारपीट करने लगे. वर्ष 2014 में पति ने उसे गैरकानूनी तरीके से तलाक (तीन तलाक) दे दिया. तब से फरजाना अपनी बेटी के साथ माता-पिता के यहां रह रही है.
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पिछले तीन वर्षों से अपने माता-पिता के साथ रह रही फरजाना ने याचिका में मांग की है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत)-1937 की धारा-दो को असंवैधानिक करार दिया जाए. धारा-दो निकाह-हलाला और बहुविवाह को मान्यता देती है. लेकिन यह मौलिक अधिकारों (संविधान के अनुच्छेद-14, 15 और 21) के खिलाफ है.
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निकाह-हलाला के तहत तलाकशुदा महिला को अपने पति के साथ दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है. दूसरे पति को तलाक देने के बाद ही वह महिला अपने पहले पति से निकाह कर सकती है, जबकि बहुविवाह नियम मुस्लिम पुरुष को चार पत्नी रखने की इजाजत देता है.
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