इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने टीवी धारावाहिक ‘‘नमक इश्क का'' पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी. साथ ही, याचिकाकर्ता को सक्षम प्राधिकार के पास जाने की छूट प्रदान की.मुख्य न्यायधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की पीठ ने कल्चरल क्वेस्ट सेासायटी की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश जारी किया.
याचिका में कहा गया था कि उक्त टीवी धारावाहिक विभिन्न अवसरों पर नाच- गान करने वाली महिलाओं से विवाह करने पर सवाल खड़े करता है, जो सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन है.अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सक्षम प्राधिकार के समक्ष यह शिकायत नहीं की है और इसलिए याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता. साथ ही, याचिकाकर्ता को समक्ष प्राधिकार का रुख करने की भी छूट प्रदान की.
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