विज्ञापन
This Article is From Jun 05, 2015

हिंसा ग्रस्त अटाली गांव में लोग लौटे, लेकिन भाईचारा नहीं

हिंसा ग्रस्त अटाली गांव में लोग लौटे, लेकिन भाईचारा नहीं
अटाली गांव से लौटकर: बल्लभगढ़ थाने में दस दिन रहने के बाद जब बुधवार शाम 65 साल के अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी ने ताला खोला तो उन्हें गश आ गया..गिरते-गिरते बची..मोटर का काम करने वाले अब्दुल रहमान का एक कमरें वाले छोटे से घर का कूलर तोड़ दिया गया था। मोटरसाइकिल जला दी गई थी...सारा सामान बिखरा पड़ा था। रोज़ाना 200 से 250 रुपये कमाने वाले अब्दुल रहमान की पत्नी के लिए ये बड़ा झटका था।

खून-पसीने की कमाई से तिनका-तिनका जोड़े गए घर में 400 साल बाद शायद इतनी बड़ी तबाही हुई है। अब्दुल रहमान रुंआसे होकर कहते हैं कि बीते चार पुश्तों से हम यहां साथ-साथ रहते आए हैं। हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह हमारा घर जला मिलेगा और सामान लूटा जाएगा।

यहीं से कुछ ही दूरी पर रईसुद्दीन का घर है। टैंपो चलाने वाले रईसुद्दीन का पूरा घर सिलेंडर ब्लास्ट की वजह से खंडहर में तब्दील हो गया है। रईसुद्दीन अपना बचा-खुचा सामान तलाश रहे हैं तो वहीं उनका चार साल का बेटा अज़हर छोटा भीम बना अपना स्कूल बैग खोजने की जिद कर रहा है। जो सारे सामान के साथ जलकर खाक हो चुका है।

वह गांव के ही स्कूल में पढ़ता है, जो बीते 10 दिन से बंद है। लौटे लोगों के चेहरे पर दहशत इसलिए भी है कि उनके गांव का भाईचारा भी इस हिंसा की भेंट चढ़ गया।

70 साल के अब्दुल कहते हैं कि 1947 में वह गांव छोड़कर पाकिस्तान जा रहे थे, लेकिन गांव के लोगों ने ही उन्हें रोका। मारना होता तो उस वक्त रोकते क्यों?

वह कहते हैं कि हिंसा करने वाले लोग बाहर से आए थे। साथ ही ये भी जोड़ते हैं कि दोनों समुदायों में बाहर के लोग आकर नौजवानों को भड़काते हैं, वे चाहे हिन्दू हों या मुसलमान।

फरीदाबाद से करीब 15 किलोमीटर दूर अटाली गांव में 25 मई को मस्जिद निर्माण को लेकर हिंसा हुई, जिसमें करीब दर्जनभर घरों में आग लगा दी गई। सामान को लूट लिया गया। अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 150 लोगों ने बल्लभगढ़ के पुलिस थाने में शरण ली और बुधवार दिनभर चली बैठक के बाद गांववालों के बीच तीन मुद्दों पर सहमति बनी, जिसके बाद ये लोग अपने घर लौटे हैं।

सहमति के मुताबिक, हिंसा से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाएगा, मस्जिद की चार दीवारी बनाई जाएगी और दोषियों की गिरफ्तारी की जाएगी। ये बात अलग है कि तनाव को देखते हुए अब तक पुलिस ने किसी को गिरफ्तारी नहीं की है।

आखिर क्यों हुआ विवाद

दरअसल, अटाली गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग एक मस्जिद का निर्माण कराने चाहते हैं। वहीं गांव के बहुसंख्यक लोग इसके खिलाफ हैं।

यहां बताया गया कि मस्जिद का जहां निर्माण होना है वहां कब्रिस्तान था..जबकि हिन्दुओं का इसी मस्जिद के पीछे गांव देवता का मंदिर बना हुआ है। इस मसले पर अदालत में केस भी चला अल्पसंख्यक समुदाय के मुताबिक, केस वह जीत चुके हैं। मस्जिद बनाने का फैसला भी आ गया है, लेकिन गांव के बहुसंख्यक कहते हैं कि केस वापस ले लिया गया है और ये ग्राम सभा की जमीन है, हालांकि अब प्रशासन ने मस्जिद के लिए चार दीवारी बना दी है, लेकिन तनाव बना हुआ है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
बल्लभगढ़, फरीदाबाद में हिंसा, अटाली गांव में हिंसा, Faridabad, Atali Village, Violence In Atali
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com