पेगासस जासूसी मामला (Pegasus spyware case) अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है और कहा गया है कि इस मामले में शामिल लोगों पर आईपीसी और अन्य कानूनी प्रवाधानों के तहत कार्रवाई की जाए. साथ ही जासूसी के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदना अवैध और असंवैधानिक करार दिया जाए. इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ये मांग भी की गई है कि इसमें जो पैसा खर्च हुआ है, सरकार उसे सूद समेत सरकारी खजाने में जमा करे. ये याचिका वकील मोहन लाल शर्मा ने दाखिल की है.
मोहन शर्मा ने अपनी याचिका में PMO को भी प्रतिवादी बनाया है. याचिका में कहा गया है कि नागरिकों के मौलिक अधिकार को पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी से बचाना चाहिए. इस मामले पर सीबीआई में शिकायत दर्ज की गई, लेकिन सीबीआई ने FIR दर्ज नहीं की. क्या पीएम और उनके मंत्री भारत के नागरिकों की जासूसी कर सकते हैं? सीबीआई, एनआईए आदि विपक्ष, जनता, पत्रकारों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की जासूसी करने के लिए पेगासस का उपयोग कर रहे हैं. भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है.
बता दें कि केंद्र पर पेगासस स्पाईवेयर के जरिए कई नेताओ,पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी का आरोप लग रहा है. पेगासस स्पाइवेयर को इजरायली साइबर फर्म NSO ग्रुप द्वारा बनाया गया है. कंपनी का दावा है कि इस फर्म का काम इसी तरह के जासूसी सॉफ्टवेयर बनाना है और इन्हें अपराध और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने और लोगों के जीवन बचाने के एकमात्र उद्देश्य के लिए सरकारों की खुफिया एजेंसियों को बेचा जाता है. पेगासस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो बिना सहमति के आपके फोन तक पहुंच हासिल करने और व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी इकट्ठा कर जासूसी करने वाले यूजर को देने के लिए बनाया गया है.
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