दिल्ली (Delhi) के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने शनिवार को देशभक्ति पाठ्यक्रम (Patriotic curriculum) की विषयवस्तु की समीक्षा करते हुए इसकी ज़रुरत पर प्रकाश डाला. इसके साथ ही दिल्ली के लिए नए बोर्ड के गठन और नई पाठ्यक्रम समिति की तीसरी संयुक्त समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिसोदिया ने अब तक की प्रगति का जायजा लिया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी. इस पर काम तेजी से जारी है तथा अब यह अंतिम चरण में है. इसके अतिरिक्त, 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए नया पाठ्यक्रम बनाने और दिल्ली बोर्ड के गठन के लिए जुलाई 2020 में दो समितियां बनाई गई थीं. इन समितियों द्वारा नवंबर के मध्य तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने की संभावना है.
देशभक्ति पाठ्यक्रम पर चर्चा करते हुए सिसोदिया ने कहा कि आकलन इस पाठ्यक्रम का आधार होगा. शिक्षक को यह समझना होगा कि उसका बच्चा आज सामाजिक असमानता, लैंगिक विषयों, विभिन्न प्रकार के भेदभाव, सत्यनिष्ठा, सार्वजनिक संपत्ति और प्राकृतिक संसाधनों के रखरखाव जैसे मुद्दों पर कहां खड़ा है, क्या राय रखता है और क्या व्यवहार करता है. इन मुद्दों पर उसके व्यवहार और विचार में क्या परिवर्तन आ रहा है, ये आकलन के द्वारा समझना होगा तभी उन्हें सच्चा देशभक्त बनाने की राह पर लाया जा सकता है.
बैठक में नई पाठ्यक्रम समिति ने 3-8 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य ज्ञान, दक्षता, मूल्यों और नजरिए की विविधता के साथ सक्षम बनाने के लिए पाठयक्रम का प्रारूप प्रस्तुत किया. इसी तरह 8-11 और 11-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए भी पाठ्यक्रम का प्रारूप प्रस्तुत किया जाएगा.
डिप्टी सीएम सिसोदिया ने पाठ्यक्रम समिति के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि इसमें पाठ्यक्रम को जीवन की वास्तविक स्थितियों से जोड़ने पर बल दिया गया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा से जुड़े हमारे लक्ष्य सरल और स्पष्ट होने चाहिए ताकि माता-पिता अपने बच्चे के सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार हो सकें. सिसोदिया ने कहा कि पैरेंट टीचर मीटिंग के दौरान अक्सर शिक्षकों और अभिभवकों के बीच मुख्यतः स्टूडेंटों को मिले अंकों तथा विषयों पर चर्चा होती है. हम चाहते हैं कि हमारे नए पाठ्यक्रम और आकलन का तरीका ऐसा हो, जिसके कारण माता-पिता और शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय यह हो कि बच्चे का समग्र विकास कैसे किया जाए.
बैठक में बोर्ड कमेटी ने भी आधुनिक असेसमेंट सिस्टम बनाने पर अब तक की प्रगति का विवरण दिया. साथ ही नए बोर्ड की संरचना एवं कार्यों पर भी प्रकाश डाला. उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि असेसमेंट हमारे पाठ्यक्रम का अहम हिस्सा है. हमारी शिक्षा केवल स्कूलों तक सीमित नहीं होती है बल्कि एक बच्चा स्कूल के बाहर भी अपने वातावरण से सीखता है. हमें अपने एसेसमेंट सिस्टम प्रणाली में बच्चों के विकास के हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए.
सिसोदिया ने ऐसे टूल्स बनाने की जरूरत पर बल दिया जिसके माध्यम से माता-पिता भी अपने बच्चे की प्रगति देख सकें. उन्होंने कहा कि तीन घंटे की परीक्षा के जरिए एक बार में बच्चों के मूल्यांकन का युग अब खत्म हो गया है. हमें ऐसी प्रणाली बनानी है जहां हम एक बच्चे के विकास को 360 डिग्री ट्रैक करने में सक्षम हों. हमें बच्चों की शिक्षण प्रक्रिया के समस्त पहलुओं को समझना होगा. आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग करके ऐसी प्रणाली लागू करना संभव है.
सिसोदिया ने समिति के सदस्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण माना जाएगा.
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