प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
यात्री जल्द ही एक मोबाइल ऐप के जरिये रेलगाड़ियों में सफर के दौरान शिकायत दर्ज करा सकेंगे. इसे 'जीरो एफआईआर' के तौर पर दर्ज किया जाएगा और आरपीएफ इसकी तत्काल जांच करेगी. यह जानकारी आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी. उत्पीड़न, चोरी, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसी शिकायतों को मोबाइल ऐप के जरिये दर्ज कराने की पायलट परियोजना मध्यप्रदेश में चल रही है और जल्द ही देश भर में इसे लागू किया जाएगा.
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आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा, 'यात्रियों को अब शिकायत दर्ज कराने के लिए अगले स्टेशन तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. वे मोबाइल ऐप के जरिये शिकायत दर्ज कराएंगे और उनका सहयोग करने के लिए आरपीएफ उन तक पहुंचेगी.' उन्होंने कहा कि शिकायत को 'जीरो एफआईआर' माना जाएगा और तुरंत जांच शुरू होगी. जीरो एफआईआर का मतलब होता है कि किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है और इसे बाद में उपयुक्त थाने में स्थानांतरित किया जा सकेगा.
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वर्तमान में अगर कोई घटना होती है और यात्री उसकी रिपोर्ट दर्ज कराना चाहता है तो उसे टिकट निरीक्षक द्वारा मुहैया कराए गए शिकायत फॉर्म को भरना पड़ता है, जिसे अगले स्टेशन पर आरपीएफ या जीआरपी के सुपुर्द किया जाता है. यह फॉर्म स्वत: प्राथमिकी में तब्दील हो जाता है. इसमें विलंब होता है और यात्रियों को तुरंत राहत नहीं मिल पाती है. ऐप में न केवल आरपीएफ, बल्कि सरकारी रेल पुलिस (जीआरपी) के साथ ही टीटीई और रेलगाड़ी संवाहक भी होंगे. ऐप में महिलाओं के लिए पैनिक बटन भी होगा.
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गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल 14 दिसंबर को प्रस्ताव दिया था कि रेलवे एक ऑनलाइन व्यवस्था विकसित करे ताकि चलती रेलगाड़ी में यात्रियों की समस्याओं का समाधान किया जा सके. इस ऐप पर यात्री ऑफलाइन शिकायत भी कर सकेंगे.
(इनपुट : भाषा)
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आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा, 'यात्रियों को अब शिकायत दर्ज कराने के लिए अगले स्टेशन तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. वे मोबाइल ऐप के जरिये शिकायत दर्ज कराएंगे और उनका सहयोग करने के लिए आरपीएफ उन तक पहुंचेगी.' उन्होंने कहा कि शिकायत को 'जीरो एफआईआर' माना जाएगा और तुरंत जांच शुरू होगी. जीरो एफआईआर का मतलब होता है कि किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है और इसे बाद में उपयुक्त थाने में स्थानांतरित किया जा सकेगा.
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वर्तमान में अगर कोई घटना होती है और यात्री उसकी रिपोर्ट दर्ज कराना चाहता है तो उसे टिकट निरीक्षक द्वारा मुहैया कराए गए शिकायत फॉर्म को भरना पड़ता है, जिसे अगले स्टेशन पर आरपीएफ या जीआरपी के सुपुर्द किया जाता है. यह फॉर्म स्वत: प्राथमिकी में तब्दील हो जाता है. इसमें विलंब होता है और यात्रियों को तुरंत राहत नहीं मिल पाती है. ऐप में न केवल आरपीएफ, बल्कि सरकारी रेल पुलिस (जीआरपी) के साथ ही टीटीई और रेलगाड़ी संवाहक भी होंगे. ऐप में महिलाओं के लिए पैनिक बटन भी होगा.
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गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल 14 दिसंबर को प्रस्ताव दिया था कि रेलवे एक ऑनलाइन व्यवस्था विकसित करे ताकि चलती रेलगाड़ी में यात्रियों की समस्याओं का समाधान किया जा सके. इस ऐप पर यात्री ऑफलाइन शिकायत भी कर सकेंगे.
(इनपुट : भाषा)
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