यह ख़बर 17 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

पूर्वोत्तर के वाशिंदों के साथ खड़ी हुई संसद

खास बातें

  • देश के कई शहरों से असम और पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन पर संसद में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि पूरा देश उनके साथ है और अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
नई दिल्ली:

पूर्वोत्तर के वाशिंदों के मन में समाए भय को खत्म करने के लिए शुक्रवार को पूरी संसद एकजुट दिखी। सभी राजनीतिक दल दलगत भवना से ऊपर उठकर पूर्वोत्तर के लोगों के समर्थन में सामने आए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सब मिलकर संयुक्त रूप से देश के सभी हिस्सों में वहां के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इन आश्वासनों के बावजूद देश के कई राज्यों से पूर्वोत्तर के लोगों का पलायन जारी है, हालांकि संख्या में कमी जरूर आई है।

हमले की अफवाह के बाद बेंगलुरू, पुणे व हैदराबाद से वहां के हजारों छात्र, व्यवसायी व अन्य अपने-अपने राज्यों को रवाना हो रहे हैं। राज्यसभा व लोकसभा के सदस्यों ने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। दोनों सदनों में प्रश्नकाल स्थगित कर दिया गया।

प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा, "पूर्वोत्तर के लोगों की रक्षा का दायित्व हमारा है। सरकार पूरी क्षमता के साथ अपना काम करेगी ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों में उपजी असुरक्षा की भावना दूर की जा सके।" उन्होंने कहा, "इस तरह की घटनाएं बहुत निंदनीय हैं। देश की एकता व अखंडता को कुछ लोगों से खतरा है।"

सिंह ने कहा कि यह देश उनका भी उतना ही है जितना कि अन्य लोगों का। उन्होंने राज्यसभा में कहा, "हमें देश भक्तों के रूप में क्षेत्रों या समुदायों के बीच की शांति भंग करने की इच्छा रखने वाले उन सभी लोगों को संदेश देना चाहिए कि यह सदन एकजुट है और हम उन्हें सुरक्षा देने व उनके लिए परेशानियां पैदा करने वालों को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए साथ में काम करेंगे।" उन्होंने कहा कि अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दोनों सदनों के सदस्यों ने भी उनके सुर में सुर मिलाया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में कहा, "सरकार को छात्रों के लिए एक हेल्पलाइन बनानी चाहिए, होस्टलों व शॉपिंग मॉलों के नजदीक पुलिस तैनात करनी चाहिए। सदन को एक प्रस्ताव पारित कर पूर्वोत्तर के छात्रों को आश्वस्त करना चाहिए कि सरकार व संसद उनकी सुरक्षा करेंगे।"

अरुणाचल ईस्ट निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस सांसद निनाग इरिंग ने कहा कि सरकार को अफवाहें फैलाने वालों को दंड देना चाहिए।
वहीं, राज्यसभा में भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा, "इस दहशत को समाप्त करने का दायित्व व जिम्मेदारी हमारी है.. अफवाहें समाप्त होनी चाहिए।"

जेटली ने कहा, "केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों व समुदायों को एक आवाज में बोलना चाहिए और पूर्वोत्तर के लोगों की वापसी तुरंत रोकने व जो लोग अपने शहरों को लौट चुके हैं उनकी अपने-अपने कार्यस्थलों व अध्ययन केंद्रों की ओर वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए।"

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि इस मसले पर लोकसभा में हुई गम्भीर व संवेदनशील चर्चा इस बात का प्रमाण है कि इस मसले पर सदन एक है। पूरे सदन के इस मुद्दे पर एक आवाज में बोलने का जिक्र करते हुए मीरा ने कहा, "पूर्वोत्तर के भाई-बहनों, हम तुम्हारे साथ हैं, ये देश तुम्हारा है।"

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि खुफिया ब्यूरो इस बात की जांच कर रहा है कि क्या पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ नफरत के स्रोत बाहरी हैं।

बेंगलुरू, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों से बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन के देखते हुए सरकार ने बड़ी संख्या में एसएमएस और एमएमएस संदेश भेजने पर 15 दिन तक रोक लगा दी।

केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने यहां सवाददाताओं से कहा, "हम उन लोगों की पहचान करेंगे, जो अफवाह फैलाते हैं। बेंगलुरू से पलायन के लिए  जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।" उन्होंने कहा कि बेंगलुरू में हालात काबू में हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती और अधिकारियों द्वारा पूर्वोत्तर के लोगों और अल्पसंख्यकों से बातचीत करने के बाद ऐसा हो सका। उन्होंने कहा, "पुलिस आयुक्त और मुख्यमंत्री ने कहा है कि पूर्वोत्तर के लोग बेंगलुरू में सुरक्षित हैं और बैठक के बाद लोगों ने शहर से पलायन करना छोड़ दिया है।"

अपने लोगों के पलायन के मद्देनजर असम राज्य सरकार ने शुक्रवार को अपने मंत्रियों को बेंगलुरू व हैदराबाद भेजा। ये मंत्री वहां पूर्वोत्तर के लोगों में विश्वास बहाली का प्रयास करेंगे।

असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने दिसपुर स्थित अपने कार्यालय में भी सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की।

इस बीच, लोगों का गुवाहाटी पहुंचना जारी है। शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के एक अधिकारी ने बताया, "गुवाहाटी में स्टेशन पर पहुंचने वाले छात्रों व परिवारों को तत्काल उनके सम्बंधित क्षेत्र में भेजा जा रहा है ताकि वे स्टेशन पर अधिक समय तक रुककर वहां किसी प्रकार की नारेबाजी कर स्थिति को खराब न कर सकें।"

उधर, असम के कामरूप (ग्रामीण) जिले के रांगिया उप-प्रखंड में शुक्रवार को कर्फ्यू में ढील दी गई। पुलिस ने बताया कि यहां से हिंसा में शामिल 100 लोगों को हिरासत में लिया गया है। वैसे बीते 24 घंटों के दौरान कोई ताजा हिंसा नहीं हुई।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने अफवाह की जांच के आदेश दिए। बेंगलुरू में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लगभग 240,000 लोग रहते हैं तथा कर्नाटक के अन्य शहरों में उनकी संख्या 100,000 है।

पुलिस ने उन इलाकों में गश्त तेज कर दी है जहां पूर्वोत्तर के लोग अधिक संख्या में रहते हैं। इन लोगों में कुछ सरकारी व निजी क्षेत्र के कर्मचारी हैं तो कई लोग सुरक्षा गार्ड हैं तथा कुछ महिलाएं ब्यूटी सैलूनों में काम करती हैं।

इन खबरों के बीच कि असम एवं पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लोग बड़ी तादाद में पिछले कुछ दिनों में अपने घर लौट गए हैं।

हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अनुराग शर्मा ने कहा कि यहां असम के लोगों पर कोई हमला नहीं हुआ है।

मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असादुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को हैदराबाद में रह रहे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया और उन्हें शहर न छोड़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में असम के लोगों के यहां से कूच करने की खबरें सच नहीं हैं। केवल कुछ ही लोग घर लौट गए, क्योंकि उनके परिवार ने उन्हें लौट आने को कहा।

लखनऊ में असम हिंसा के विरोध में मुस्लिम संगठनों द्वारा शुक्रवार को निकाला गया जुलूस हिंसक हो गया। प्रदर्शन में शामिल युवकों ने वाहनों पर जमकर पथराव किया एवं मीडियाकर्मियों के साथ मारपीट भी की।
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