किसान परिवार से आने वाले तमिलनाडु के वित्त मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे। वह पहले चाय की दुकान चलाते थे जिसे अब उनके रिश्तेदार चलाते हैं।
ओपीएस के नाम से मशहूर 63 वर्षीय पन्नीरसेल्वम बोडिनायकन्नूर विधानसभा से चुन कर आए हैं। उनका गृह जनपद थेनी है और मुख्य पेशा खेती। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की है और स्नातक की पढ़ाई उन्होंने अधूरी छोड़ दी।
बेंगलुरू केंद्रीय कारागार में बंद एआईएडीएमके महासचिव जे. जयललिता की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद विधायक दल ने पन्नीरसेल्वम को अपना नेता चुन लिया। इस तरह अब वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता का स्थान लेंगे। इसी तरह की परिस्थिति में पन्नीरसेल्वम 2001 में भी मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल चुके हैं।
2001 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जयलिलता को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उस वक्त भी अभिनेत्री से नेता बनीं जयलिलता ने वरिष्ठ मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम पर ही भरोसा जताया था और मुख्यमंत्री पद के लिए उन्हें नामित किया था।
पन्नीरसेल्वम फिलहाल प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वह जयललिता का विश्वासपात्र माने जाते हैं। 1951 में जन्मे पन्नीरसेल्वम किसान परिवार से आते हैं। बताया जाता है कि उनके पास कृषि भूमि है और वह एक चाय की दुकान भी चलाते थे जो अब भी मौजूद है।
राजनीति में उनका पदार्पण 1996 में हुआ जब वह पहली बार पेरियाकुलम नगर निगम अध्यक्ष बने। 2001 में वह पहली बार पेरियाकुलम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और जयललिता सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए।
2001 में जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाली तो एक रिकार्ड उनके नाम जुड़ा और वह था थेवार समुदाय से आने वाले प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनने का।
2006 विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके की हार के बाद उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की भी भूमिका निभाई।
जयललिता के जेल जाने से हालांकि राज्य सरकार पर खतरा नहीं है, क्योंकि 234 सदस्यीय विधानसभा में एआईएडीएमके के पास 150 सीटें हैं। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा था और उसने प्रदेश की 39 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी।
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को आय के ज्ञात स्रोत से 66 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जमा करने के एक मामले में शनिवार को अदालत ने दोषी करार देते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
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