सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर विश्वविद्यालय और कॉलेजों के प्रदर्शनकारी छात्रों को लेकर बयान दिया. जिसे लेकर वह विपक्ष के निशाने पर आ गए. अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने शनिवार को उनपर हमला बोला. पी चिदंबरम ने सेना प्रमुख को अपने काम से मतलब रखने को कहा. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक इवेंट के दौरान गुरुवार को कहा था, 'नेता वे नहीं हैं जो गलत दिशा में लोगों का नेतृत्व करते हैं. जैसा कि हम लोग गवाह रहे हैं कि बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों ने शहरों और कस्बों में आगजनी और हिंसा करने के लिए जन और भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं. यह नेतृत्व नहीं है.'
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पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम नए कानून के खिलाफ केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा राजभवन के सामने आयोजित महा रैली को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सेना प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को सरकार का समर्थन करने को कहा गया और यह 'शर्मनाक' है. चिदंबरम ने कहा, 'अब, आर्मी जनरल को बोलने के लिए कहा जा रहा है. क्या यह आर्मी जनरल का काम है?'
उन्होंने कहा, 'डीजीपी... सेना के जनरल को सरकार का समर्थन करने के लिए कहा जा रहा है. यह शर्मनाक है. मैं जनरल रावत से अपील करता हूं... आप सेना का नेतृत्व करें और अपने काम से मतलब रखें. नेताओं को जो करना है, वे करेंगे.' चिदंबरम ने कहा, 'यह सेना का काम नहीं है कि वह नेताओं को यह बताए कि हमें क्या करना चाहिए. युद्ध कैसा लड़ा जाए, आपको यह बताना हमारा काम नहीं है. आप अपने विचारों के अनुसार युद्ध लड़ें और हम देश की राजनीति को संभालेंगे.'
Leadership is knowing the limits of one's office.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 26, 2019
It is about understanding the idea of civilian supremacy & preserving the integrity of the institution that you head https://t.co/qqbxgGj72j
इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सेना प्रमुख के बयान पर सवाल उठाए थे. दिग्विजय सिंह ने कहा था, 'मैं जनरल साहब से सहमत हूं, लेकिन लीडर्स वे भी नहीं होते हैं जो अपने समर्थकों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में शामिल करते हैं. क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहब? वहीं, ओवैसी ने ट्वीट किया, 'किसी के पद की सीमाओं को जानना ही नेतृत्व है. नागरिक सर्वोच्चता के विचार को समझने तथा अपने अधीन मौजूद संस्थान की अखंडता को सुरक्षित रखने के बारे में है.'
उधर, सेना प्रमुख के बयान के बचाव में अब पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (VK Singh) उतरे हैं. वीके सिंह ने कहा कि 'आर्मी चीफ के बयान में मुझे कोई राजनीति नहीं दिखती है.' उन्होंने मीडिया से उनके बयान का 'संदर्भ' का पता लगाने का भी अनुरोध किया.
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जनरल वीके सिंह ने कहा कि छात्रों को विरोध प्रदर्शन के दौरान शांति बनाए रखने के लिए कहने में कुछ भी राजनीतिक नहीं था. उन्होंने कहा, 'हमारे देश में विपक्ष किसी चीज को विवाद में बदल सकता है. उस बयान को आदर्श संदर्भ में देखना होगा, जिसमें सेना प्रमुख ने एक खास बात कही. उनसे पूछें कि उसका क्या मतलब है? अगर मैं कहता हूं कि छात्र अनावश्यक रूप संपत्ति को नुकसान नहीं पहुचाते हैं तो क्या यह राजनीति है? अपने दिल से इस सवाल का जवाब पूछे. सेना प्रमुख के बयान के साथ क्रॉस-चेक करें कि उन्होंने किस संदर्भ में यह कहा हो सकता है.
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(इनपुट: भाषा से)
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