फाइल फोटो
नई दिल्ली:
ऐसा लगता है कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के मुद्दे पर पूर्व सैनिकों और सरकार ने अपने बड़े मतभेद सुलझा लिए हैं। इन अटकलों ने तब जोर पकड़ा जब पूर्व सैनिकों ने बुधवार रात कहा कि वे हर साल पेंशन की समीक्षा की अपनी मांग की बजाय हर दो साल पर पेंशन की समीक्षा को स्वीकार कर सकते हैं।
पिछले 80 दिनों से जंतर मंतर पर ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के मुद्दे पर जारी प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे और युद्ध में हिस्सा ले चुके सेवानिवृत मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें सरकार से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह बात नहीं कही कि सरकार से बातचीत में कोई सफलता मिली है।
सिंह ने कहा कि यह मुद्दा तोल-मोल वाला नहीं है और ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की अवधारणा के दोनों तत्वों में दखल नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि एक बार हमें यह पता चल जाए कि सरकार क्या पेशकश करने वाली है, तभी हम किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि समीक्षा की तारीख निश्चित तौर पर एक अप्रैल 2014 से होनी चाहिए।
इस मुद्दे पर मध्यस्थता कर रहे निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह वक्त है कि जल्द से जल्द कोई समाधान निकले और पूर्व सैनिक पूरे सम्मान एवं गरिमा के साथ अपने घर लौटें। उन्होंने पूर्व सैनिकों से अनुरोध किया कि वे हर तीन साल पर पेंशन की समीक्षा को स्वीकार कर लें।
इस बीच, सेवानिवृत कर्नल पुष्पेंद्र सिंह, जिनकी तबीयत थोड़ी खराब है पर इरादा पक्का है, ने अपना आमरण अनशन फिर से शुरू कर दिया। आर्मी अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने जंतर मंतर पर अनशन फिर से शुरू कर दिया।
‘वन रैंक, वन पेंशन’ तुरंत लागू करने की मांग कर रहे सिंह को पिछले सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जो उनके अनशन का नौवां दिन था। उनकी मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया था कि उनके शरीर में कीटोन का स्तर बहुत बढ़ गया है। सिंह को आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां से बुधवार को उन्हें छुट्टी दी गई।
इस बीच, केंद्र सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई समयसीमा तय करने से तो बचती नजर आई, लेकिन यह जरूर कहा कि वह अपने वादे को लागू करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार ने भरोसा जताया कि सभी को स्वीकार्य समाधान जल्द ही निकाल लिया जाएगा।’
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में बताया, ‘हम देर सवेर ओआरओपी लागू करेंगे जिससे सभी संतुष्ट रहें। हम ऐसा कदम उठाएंगे जिसे सही ठहराया जा सके, जो समझाने लायक हो। आखिरकार हम पूरे समाज के लिए न्याय कर रहे हैं। मैं सटीक तारीख बताने लायक कोई ज्योतिषी तो नहीं हूं। कुछ दिनों में अंतिम समाधान मिल सकता है।’ पूर्व सैनिकों का भरोसा खोने की बात को खारिज करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि उन्हें यकीन है कि दोनों पक्ष तार्किकता से पेश आएंगे। उन्होंने कहा, ‘हमने जो वादा किया है, वह पूरा करेंगे। हालांकि, उन्होंने इन सवालों से कन्नी काटी कि क्या सरकार अपने वादे के अनुरूप ओआरओपी लागू कर देगी।
उन्होंने कहा कि हर साल पेंशन की समीक्षा एक मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘राजनीति की योग्यता इसी में है कि वह असंतोष और वित्तीय बोझ दोनों को टाले।’ इस बीच, बुधवार रात एक उच्च-पदस्थ अधिकारी ने कहा कि ओआरओपी पर ‘बहुत जल्द’ फैसले की उम्मीद है। उन्होंने यह बात ऐसे समय में कही है जब ऐसे संकेत हैं कि इस सप्ताह के अंत तक कोई घोषणा की जा सकती है।
बाद में सतबीर सिंह ने कहा, ‘हम तीन साल पर पेंशन की समीक्षा पर तैयार नहीं होंगे। हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम सिर्फ दो साल में पेंशन की समीक्षा का प्रस्ताव मान सकते हैं, इससे ज्यादा नहीं।’ उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस बाबत कोई ताजा प्रस्ताव नहीं आया है।
पिछले 80 दिनों से जंतर मंतर पर ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के मुद्दे पर जारी प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे और युद्ध में हिस्सा ले चुके सेवानिवृत मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें सरकार से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह बात नहीं कही कि सरकार से बातचीत में कोई सफलता मिली है।
सिंह ने कहा कि यह मुद्दा तोल-मोल वाला नहीं है और ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की अवधारणा के दोनों तत्वों में दखल नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि एक बार हमें यह पता चल जाए कि सरकार क्या पेशकश करने वाली है, तभी हम किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि समीक्षा की तारीख निश्चित तौर पर एक अप्रैल 2014 से होनी चाहिए।
इस मुद्दे पर मध्यस्थता कर रहे निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह वक्त है कि जल्द से जल्द कोई समाधान निकले और पूर्व सैनिक पूरे सम्मान एवं गरिमा के साथ अपने घर लौटें। उन्होंने पूर्व सैनिकों से अनुरोध किया कि वे हर तीन साल पर पेंशन की समीक्षा को स्वीकार कर लें।
इस बीच, सेवानिवृत कर्नल पुष्पेंद्र सिंह, जिनकी तबीयत थोड़ी खराब है पर इरादा पक्का है, ने अपना आमरण अनशन फिर से शुरू कर दिया। आर्मी अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने जंतर मंतर पर अनशन फिर से शुरू कर दिया।
‘वन रैंक, वन पेंशन’ तुरंत लागू करने की मांग कर रहे सिंह को पिछले सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जो उनके अनशन का नौवां दिन था। उनकी मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया था कि उनके शरीर में कीटोन का स्तर बहुत बढ़ गया है। सिंह को आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां से बुधवार को उन्हें छुट्टी दी गई।
इस बीच, केंद्र सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई समयसीमा तय करने से तो बचती नजर आई, लेकिन यह जरूर कहा कि वह अपने वादे को लागू करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार ने भरोसा जताया कि सभी को स्वीकार्य समाधान जल्द ही निकाल लिया जाएगा।’
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में बताया, ‘हम देर सवेर ओआरओपी लागू करेंगे जिससे सभी संतुष्ट रहें। हम ऐसा कदम उठाएंगे जिसे सही ठहराया जा सके, जो समझाने लायक हो। आखिरकार हम पूरे समाज के लिए न्याय कर रहे हैं। मैं सटीक तारीख बताने लायक कोई ज्योतिषी तो नहीं हूं। कुछ दिनों में अंतिम समाधान मिल सकता है।’ पूर्व सैनिकों का भरोसा खोने की बात को खारिज करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि उन्हें यकीन है कि दोनों पक्ष तार्किकता से पेश आएंगे। उन्होंने कहा, ‘हमने जो वादा किया है, वह पूरा करेंगे। हालांकि, उन्होंने इन सवालों से कन्नी काटी कि क्या सरकार अपने वादे के अनुरूप ओआरओपी लागू कर देगी।
उन्होंने कहा कि हर साल पेंशन की समीक्षा एक मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘राजनीति की योग्यता इसी में है कि वह असंतोष और वित्तीय बोझ दोनों को टाले।’ इस बीच, बुधवार रात एक उच्च-पदस्थ अधिकारी ने कहा कि ओआरओपी पर ‘बहुत जल्द’ फैसले की उम्मीद है। उन्होंने यह बात ऐसे समय में कही है जब ऐसे संकेत हैं कि इस सप्ताह के अंत तक कोई घोषणा की जा सकती है।
बाद में सतबीर सिंह ने कहा, ‘हम तीन साल पर पेंशन की समीक्षा पर तैयार नहीं होंगे। हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम सिर्फ दो साल में पेंशन की समीक्षा का प्रस्ताव मान सकते हैं, इससे ज्यादा नहीं।’ उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस बाबत कोई ताजा प्रस्ताव नहीं आया है।
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