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This Article is From Nov 10, 2015

गोमांस खाने की वकालत करने वाले 'हिन्दुओं के अपमान की आजादी' चाहते हैं : ऑर्गनाइजर

गोमांस खाने की वकालत करने वाले 'हिन्दुओं के अपमान की आजादी' चाहते हैं : ऑर्गनाइजर
आरएसएस की बैठक में कार्यकर्ता... (फाइल फोटो)
केरल हाउस गोमांस विवाद की पृष्ठभूमि में ‘ऑर्गनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि जो लोग गोमांस खाने पर जोर दे रहे हैं वे ‘हिन्दुओं को अपमानित करने की आजादी’ और परोक्ष रूप से विवेकशील लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं।

हिन्दुओं को अपमानित करने की आजादी
इसमें कहा गया है, ‘अपनी पसंद के भोजन खाने की आजादी के नाम पर वे लोग हिन्दुओं को अपमानित करने की आजादी की मांग कर रहे हैं। उनके लिए मुद्दा खाने के मौलिक अधिकार से नहीं, बल्कि हिन्दुओं को अपमानित करने के मौलिक अधिकार से जुड़ा है।’ इसमें साथ ही कहा गया है, ‘कांग्रेस की सरकार में सत्ता का स्वाद चखने वाले इन लोगों ने परोक्ष तौर पर सभी विवेकशील आवाजों को दबाया है।’ लेख में कहा गया है ‘‘इस छद्म धर्मनिरपेक्ष जमात ने नए मुहावरे गढ़े हैं और जहां खाने की आजादी का मतलब अपमानित करने की आजादी होती है। किसी भी तरह की प्रतिक्रिया को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के अंतर्गत असहिष्णुता के रूप में प्रचारित किया जाता है। इनकी नई टैग लाइन है, ‘हिन्दुओं को कोसो, कानून को कोसो, हम धर्मनिरपेक्ष हैं।’

केरल हाउस गोमांस विवाद से दंग
आरएसएस के समर्थकों द्वारा निकाले जाने वाली पत्रिका के आलेख में कहा गया है कि केरल हाउस गोमांस विवाद और बाद में केरल के मुख्यमंत्री और कुछ अन्य राज्यों द्वारा किए गए विरोध से कानून का पालन करने वाले देशवासी दंग रह गए। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को अत्यंत आपत्तिजनक करार देने वाले केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी की आलोचना करते हुए इसमें कहा गया है कि चांडी का विरोध अपने आप में अवैध और कानून कायम रखने के लिए उनके द्वारा ली गई शपथ की भावना के विपरीत था।

आलेख में कहा गया है, ‘वास्तव में, पुलिस की कार्रवाई का विरोध करने वाले सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनी सीमा का उल्लंघन किया है और अपनी शपथ की अवहेलना की है।’ एक समूह द्वारा कोलकाता में सड़क पर गोमांस भोज के बारे में इसमें कहा गया है कि यह कानून के खिलाफ है और पुलिस हर बार की तरह इस बार भी असहाय दिखी।

हिन्दुओं के लिए गाय मां समान
लेख में लिखा गया है, हिन्दू गायों का सम्मान करते हैं और इसे अपनी मां की तरह मानते हैं तो क्या हुआ, गोमांस खिलाना गैर-कानूनी है तो क्या हुआ, संविधान का अनुच्छेद 48 अगर भारत सरकार को गाय बचाने और गोवध पर प्रतिबंध के लिए कोशिश करने का निर्देश देता है तो क्या हुआ, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अगर गोवध को प्रतिबंधित करने को भारत का पहला कानून बनाने की वकालत की तो क्या हुआ, हम लोग गोमांस खाएंगे। हिन्दुओं को कोसो, कानून को कोसो, पुलिस को कोसो।’

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