यह ख़बर 23 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

यौन प्रताड़ना मामलों की रोजाना सुनवाई के आदेश

खास बातें

  • एक सप्ताह पूर्व राष्ट्रीय राजधानी में एक युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और दोषियों को तुरंत सजा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलनों के मद्देनजर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों को यौन प्रताड़ना के मामलों की सुनवाई प्रतिदिन क
नई दिल्ली:

एक सप्ताह पूर्व राष्ट्रीय राजधानी में एक युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और दोषियों को तुरंत सजा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलनों के मद्देनजर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों को यौन प्रताड़ना के मामलों की सुनवाई प्रतिदिन करने का निर्देश दिया। यह भी बताया गया कि पांच त्वरित अदालतों (फास्ट ट्रैक कोर्ट) का गठन जल्द होगा।

उच्च न्यायालय ने कहा, "दिल्ली उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों को निर्देश दिया है कि महिलाओं के साथ यौन प्रताड़ना के मामलों की सुनवाई रोजाना आधार पर की जाए।"

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली प्रशासनिक समिति ने पांच विशेष त्वरित अदालतों के गठन सम्बंधी सरकार के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी अदालतों का गठन शीतकालीन अवकाश के तुरंत बाद किया जाएगा।

गौरतलब है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 19 दिसम्बर को पांच विशेष त्वरित अदालतों के गठन का प्रस्ताव उच्च न्यायालय को भेजा था।

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उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 16 दिसम्बर को चलती बस में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने हाल ही में पुलिस से एक स्थिति रिपोर्ट तलब की थी और उसमें घटना के दिन वारदात वाले इलाके में तैनात पुलिस अधिकारियों का जिक्र नहीं होने पर पुलिस आयुक्त को फटकार लगाई थी।