पंजाब में नई कैबिनेट के गठन (Cabinet formation) में चेहरों के नाम पर मुहर लग चुकी है और आज यानी रविवार को शाम 4:30 शपथ ग्रहण समारोह होना है. लेकिन इससे पहले कैबिनेट गठन में एक नई चुनौती सामने आ रही है. दरअसल, शपथ ग्रहण समारोह के कुछ घंटे पहले छह विधायकों ने राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को पत्र लिखकर नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार में "दागी राणा गुरजीत सिंह को शामिल करने का प्रस्ताव" का विरोध किया.
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विधायकों ने बताया कि राज्य के सबसे अमीर विधायकों में से एक गुरजीत सिंह को जनवरी 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था, जिसमें उन्हें और उनके परिवार से जुड़े एक "कुख्यात" रेत खनन घोटाले के कारण राज्य को ₹ 25 करोड़ का नुकसान हुआ था.
विधायकों ने यह भी कहा कि यह "दिलचस्प" है कि पंजाब के दोआबा क्षेत्र से प्रस्तावित कैबिनेट नाम जाट सिख और ओबीसी सिख थे, लेकिन इस क्षेत्र में लगभग 40 प्रतिशत दलित आबादी थी. विधायकों ने लिखा, "इसलिए, हम सभी आपसे अनुरोध करते हैं कि राणा गुरजीत सिंह को प्रस्तावित कैबिनेट विस्तार से तुरंत हटा दें और इसके बजाय आगामी चुनाव के मद्देनजर एक साफ दलित चेहरा शामिल करें."
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राणा सिंह के शामिल किए जाने पर विवाद सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर अंतिम क्षणों में विचार-विमर्श के बाद हुआ, जैसा कि पार्टी अमरिंदर सिंह के दौर से आगे बढ़ना चाहती है और अगले साल के चुनाव पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है. जिसमें से एक में राज्य में अनुमानित 31 फीसदी दलित वोटों की अहम भूमिका होने की उम्मीद है.
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