अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारकों के कमजोर पड़ने, वृद्धिदर में गिरावट और कल्याण योजनाओं में आवंटन में कटौती करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने बुधवार को कहा कि सरकार के छह महीने के कार्यकाल में 'अच्छे दिन' के कोई संकेत नहीं मिले है और अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा कम हुआ है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने हालांकि इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की दिशा में पिछले छह महीने में क्रांतिकारी कदम उठाये गए हैं जिसने देश-दुनिया में निर्णायक छाप छोड़ी है।
2014-15 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों (सामान्य) पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के वीरप्पा मोइली ने कहा, 'नई सरकार को आए छह महीने हो गए, लेकिन अच्छे दिन के संकेत नहीं हैं।'
उन्होंने कहा कि कर वसूली में गिरावट दर्ज की गई है, अप्रत्यक्ष कर संग्रहण घटा है। व्यापार घाटा कम करने में सरकार को कोई सफलता नहीं मिली है। गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) लगातार बढ़ती जा रही हैं। आर्थिक पुनर्गठन की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।
मोइली ने कहा कि जापान, चीन जैसे देशों ने ब्याज दर को कम किया लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। यह सरकार गरीबों के प्रति असंवेदनशील है। योजना आयोग को मजबूत बनाने की बजाए उसे समाप्त करने की पहल की जा रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पहले छह महीने में अर्थव्यवस्था की गति मंद पड़ी है और स्थिति खराब हुई है।
उधर भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था की दिशा में पिछले छह महीने में क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं जिसकी देश-दुनिया में निर्णायक छाप पड़ी है और भरोसा कायम हुआ है।
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