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This Article is From Jun 29, 2021

केवल दो बच्चों की नीति ही असम में मुस्लिमों की भी गरीबी कर सकती है दूर : हिमंता बिस्वा सरमा 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के दो धड़ों ने पिछले एक माह में उनसे दो बार मुलाकात की है और खुले तौर पर दो बच्चों की नीति का स्वागत किया है. उनका कहना है कि असम के मुस्लिमों को जनसंख्या नियंत्रण के साधनों की जरूरत है. 

केवल दो बच्चों की नीति ही असम में मुस्लिमों की भी गरीबी कर सकती है दूर : हिमंता बिस्वा सरमा 
Assam 2 Child policy : हिमंता बिस्वा सरमा ने नीति पर मुस्लिमों के समर्थन का दावा किया
गुवाहाटी:

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि केवल दो बच्चों की नीति ही असम में मुस्लिमों (Muslim minority) की भी गरीबी दूर कर सकती है. सरमा दो बच्चों की नीति (Assam Two Child Policy) को लेकर असम के मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करने वाले हैं. सरमा का दावा है कि इस नीति को लेकर कोई विरोध नहीं है. सरमा ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि दो बच्चों की नीति ही राज्य में मुस्लिम समुदाय की गरीबी और निरक्षरता को दूर कर सकती है. सरमा ने कहा कि मुस्लिम समुदायों के संगठनों ने भी परिवार नियोजन की इस नीति की सराहना की है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के दो धड़ों ने पिछले एक माह में उनसे दो बार मुलाकात की है और खुले तौर पर दो बच्चों की नीति का स्वागत किया है. उनका कहना है कि असम के मुस्लिमों को जनसंख्या नियंत्रण के साधनों की जरूरत है. सरमा ने बताया कि वो कई सारे मुस्लिम बुद्धिजीवियों से जुलाई के दौरान मुलाकात करने वाले हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे सरकार की नीतियों का समर्थन करेंगे, क्योंकि यही असम में मुस्लिम समुदाय के बीच भी गरीबी और निरक्षरता दूर करने का रास्ता है.

सरमा ने 4 जुलाई को 150 के करीब मुस्लिम बुद्धिजीवियों को मुलाकात का न्योता भेजा है. वो मुस्लिम समुदाय से जुड़े तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के बीच भी इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने की तैयारी कर रहे हैं. 

सरमा ने कुछ दिनों पहले ऐलान किया था कि धीरे-धीरे राज्य की कल्याणकारी योजनाओं में दो बच्चों की नीति लागू की जाएगी. उनकी सरकार जुलाई में अगले बजट सत्र के दौरान विधानसभा में नया कानून भी लेकर आ सकती है. नए नियम के तहत सिर्फ दो बच्चों वाले ही सरकारी नौकरी और कल्याणकारी योजनाओं के पात्र और लाभार्थी होंगे. आधिकारिक सूत्रों ने भी यही संकेद दिया है.

इस प्रस्ताव को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि असम की बांग्लादेश मूल की मुस्लिम आबादी को लेकर यह कानून लाया जा रहा है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने असम में यही सोच पैदा करने की कोशिश है कि सिर्फ वो ही राज्य में मूल असमिया लोगों की अवैध घुसपैठियों से रक्षा कर सकती है.

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