'दो बच्चों की नीति' (Two Child Policy) की वकालत करने को लेकर असम (Assam) सरकार इन दिनों सुर्खियों में है. असम सरकार इस नीति को व्यापक रूप से लागू करने के लिए अगले महीने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नया कानून ला सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यह कानून केवल दो बच्चों तक वाले लोगों को सरकारी नौकरियों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए योग्य बना सकता है. अर्थात् दो बच्चों से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ सकता है.
नए कानून की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर असम के संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार दो बच्चों वाली नीति के विवरण और इसे लागू करने के तरीकों पर काम कर रही है, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, "हम योजना बना रहे हैं. इस पर अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. इसे कैसे लागू किया जाएगा हम इस पर विचार कर रहे हैं."
हजारिका ने कहा "हमने पंचायत चुनावों के मामले में पहले ही नीति लागू कर चुके हैं, लेकिन अब हम इसे राज्य सरकार की नौकरियों, असम सरकार की कल्याणकारी योजनाओं तक बढ़ा रहे हैं और इस तरह हम नीति का विस्तार करेंगे. हालांकि, तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है."
असम में 2018 में असम पंचायत कानून 1994 में किए गए संशोधन के अनुसार, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और चालू अवस्था में शौचालय के साथ-साथ दो बच्चों का मानदंड है.
पिछले हफ्ते, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की थी कि राज्य द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं में दो बच्चों वाली नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सामाजिक संकट जैसे भूमि अतिक्रमण को हल किया जा सकता है यदि अप्रवासी मुस्लिम परिवार नियोजन का पालन करते हैं और अपनी आबादी को नियंत्रित रखते हैं.
वीडियो: दो से ज्यादा बच्चे हुए तो असम में नहीं मिलेगी नौकरी
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