जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के विरुद्ध जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत उनकी हिरासत की मियाद मंगलवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई. अधिकारियों ने कहा कि इसी तरह पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता और मुफ्ती के रिश्तेदार सरताज मदनी की हिरासत को भी तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने को अविश्वसनीय रुप से क्रूर और पीछे की ओर धकेलने वाला फैसला बताया. उमर ने ट्वीट किया, ‘‘महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने का फैसला अविश्वसनीय रूप से क्रूर और पीछे ले जाने वाला है. मुफ्ती ने ऐसा कुछ भी किया या कहा नहीं है जिससे भारत सरकार द्वारा उनके और हिरासत में लिए गए अन्य लोगों के साथ इस व्यवहार को सही ठहराया जा सके.”
Unbelievably cruel & retrograde decision to extend @MehboobaMufti's detention. Nothing she has done or said in any way justifies the way the Indian state has treated her & the others detained. https://t.co/tyxXC9NFuL
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 5, 2020
उमर ने कहा, “लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के दावे करने वाली सरकार द्वारा मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाना इस बात का सबूत है कि मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर को दशकों पीछे धकेल दिया है.” पीएसए के तहत हिरासत की अवधि समाप्त होने के कुछ घंटे पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग ने मुफ्ती की हिरासत बढ़ाए जाने से संबंधित एक संक्षिप्त आदेश जारी किया. पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किए जाने के बाद पांच अगस्त को मुफ्ती को हिरासत में लिया गया था. दो ‘उप-जेलों' में आठ महीने हिरासत में रहने के बाद मुफ्ती को सात अप्रैल को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था. मुफ्ती पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष हैं.
शुरुआत में उन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. बाद में इस साल पांच फरवरी को उन पर जन सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी. महबूबा की बेटी इल्तिजा ने अपनी मां को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में फरवरी में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. न्यायालय ने सुनवाई के लिए 18 मार्च की तारीख तय की थी लेकिन कोरोना वायरस फैलने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई.
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