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This Article is From Oct 27, 2020

जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को यहां जमीन के मालिकाना हक देना स्वीकार नहीं : उमर अब्दुल्ला

जम्मू और कश्मीर में शहरी जमीन और अचल संपत्ति अब किसी भी राज्य के निवासियों द्वारा खरीदी जा सकती है, केंद्र सरकार की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदने को लेकर कानून में अहम बदलाव किया गया है.

नई दिल्ली:

जम्मू और कश्मीर में शहरी जमीन और अचल संपत्ति अब किसी भी राज्य के निवासियों द्वारा खरीदी जा सकती है, केंद्र सरकार की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदने को लेकर कानून में अहम बदलाव किया गया है. इससे पहले, केवल जम्मू और कश्मीर के निवासियों को राज्य में भूमि खरीदने की अनुमति थी. लेकिन पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने संविधान की धारा 370 के तहत राज्य की विशेष शक्तियों को छीन लिया और दो केंद्र शासित प्रदेशों में इसका विभाजन कर दिया. जिसके बाद कई कानूनों में बदलाव का मार्ग प्रशस्त हो गया था. 

संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के एक साल बाद केंद्र सरकार ने कई कानूनों में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों के लिए केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त कर दिया. इस संबंध में जारी एक राजपत्र अधिसूचना में, केंद्र ने केंद्र शासित प्रदेश में भूमि से संबंधित जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से "राज्य के स्थायी निवासी" वाक्यांश को हटा दिया है. 

हालांकि जम्मू और कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने स्पष्ट किया है कि नया कानून कृषि भूमि पर लागू नहीं होगा. उपराज्यपाल ने कहा, "मैं इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि कृषि भूमि को किसानों के लिए आरक्षित रखा गया है. कोई भी बाहरी व्यक्ति उन जमीनों को खरीद नहीं पाएगा."

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि यह अस्वीकार्य संशोधन है. जमीन के मालिकाना हक के कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो स्वीकार करने लायक नहीं हैं. अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए डोमिसाइल का सबूत भी नहीं देना है. अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है अब उसे और मुश्किलें होंगी. 

जम्मू कश्मीर की एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी एक के बाद एक ट्वीट कर बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है,'लोगों को रोटी और रोज़गार प्रदान करने में सभी मोर्चों पर विफल होने के बाद, भाजपा मतदाताओं की भूख को कम करने के लिए ऐसे कानून बना रही है. इस तरह के कानून के विरोध में जम्मू-कश्मीर के सभी तीन प्रांतों के लोगों को एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है.'

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को निरस्त करने से पहले, गैर-निवासी जम्मू-कश्मीर में कोई अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. हालांकि, ताजा बदलावों ने गैर-निवासियों के लिए केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.पूर्व महाधिवक्ता मोहम्मद इशाक कादरी ने कहा कि इन संशोधनों ने जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों के लिए यहां भूमि खरीदने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अब बाहरी लोगों के यहां जमीन खरीदने पर कोई कानूनी रोक नहीं है.''

(इनपुट भाषा से भी)

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