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This Article is From Nov 09, 2020

महाराष्ट्र में वृद्धाश्रम पर भी पड़ी कोरोना की मार, लॉकडाउन के बाद से माली हालत खराब

Old age Home के संचालकों का कहना है कि बुजुर्गों के इलाज के खर्च को लेकर हॉस्पिटल का बिल बकाया है. लॉकडाउन के समय से डोनेशन काफ़ी कम हुआ है, हम तो नेक काम कर रहे हैं.  आगे देखते हैं कितनी और कैसे मदद मिलती है

महाराष्ट्र में वृद्धाश्रम पर भी पड़ी कोरोना की मार, लॉकडाउन के बाद से माली हालत खराब
Mumbai में दस हजार के करीब मौतें कोरोना से हुईं, जिसमें 85 फीसदी बुजुर्ग थे (फाइल फोटो)
मुंबई:

महाराष्ट्र (Maharashtra) में बुजुर्गों को सहारा देने वाले वृद्धाश्रमों पर कोरोना काल की मार पड़ी है. लॉकडाउन लगने (Lockdown) के बाद से इन वृद्धाश्रमों (Old Age Home) की माली हालत बेहद खराब है. ये वृद्धाश्रम फंड की कमी से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन के बाद से इन्हें बेहद कम डोनेशन मिल रहा है. वृद्धाश्रम संचालकों ने लोगों से पहले की तरह दान देने की अपील की है.

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कायनात वेलफ़ेयर ट्रस्ट की प्रमुख ज़ाहिरा सय्यद का कहना है कि बुजुर्गों के इलाज के खर्च को लेकर हॉस्पिटल का बिल बकाया है. लॉकडाउन के समय से डोनेशन काफ़ी कम हुआ है, हम तो नेक काम कर रहे हैं.  आगे देखते हैं कितनी और कैसे मदद मिलती है.किशनगोपाल राजपुरिया वानप्रस्थाश्रम के अध्यक्ष योगेन्द्र राजपुरिया ने कहा कि कोविड की समस्या जब से शुरू हुई तब से ही हमने बाहर के लोगों का अंदर आना और अंदर वालों का बाहर जाना एकदम बंद कर दिया. बुजुर्गों को बहुत सुरक्षित रखा. पूरे टाइम मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया और किसी को कोरोना नहीं हुआ.

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वृद्धाश्रमों के संचालकों का कहना है कि फ़ंडिंग में छोटे-छोटे डोनेशन काफ़ी आते थे, लेकिन अब ये आना बंद हो गए हैं. समस्या आई है लेकिन इससे अच्छे से निपटा जा सकता है. उनका कहना है कि महामारी के वक़्त में जब बुजुर्गों के लिए ऐसे आश्रम बड़ा सहारा हैं तो इनके सहारे की दरकार को भी गंभीरता से समझने की ज़रूरत है.मुंबई में कोरोना से कुल 10 हजार मौतों में 85% मौत बुजुर्गों की हुई है, लेकिन वृद्धाश्रम इससे अमूमन बचे हुए हैं. महानगर में कोरोना से दस हज़ार से ज्यादा मौतें हुई हैं. इन वृद्धाश्रमों में रह रहे बुजुर्ग काफी सतर्क हैं. 

बुजुर्गों ने कहा, हम यहां सुरक्षित-कोरोना का डर नहीं
वर्षा लक्ष्मण सालुंके, एलेक्जेंडर ज़ेवियर, सुंदर वेंकट, फ़ौजी प्रभाकर सामंत और 92 साल की कुमुद वैद जैसे कई बुजुर्ग अब कोरोना से डरना बंद कर चुके हैं. वर्षा लक्ष्मण सालुंके ने कहा, मुझे पुलिस यहां लेकर आई और भाई की बीवी ने निकाल दिया था, सड़कों पर सोना पड़ा फिर पुलिस कूपर लेकर गई, कोरोना टेस्ट निगेटिव आया, मुझे भगवान पर पूरा भरोसा था मुझे कुछ नहीं होगा, मुझे बिलकुल डर नहीं. कुमुद वैद का कहना है कि आश्रम में इतनी केयर हुई कि ऐसा डर नहीं लगा कि हमको कोरोना हो जाएगा. प्रभाकर सामंत के अनुसार, मैं फ़ौजी हूं और फ़ौजी भला कोरोना से क्यों डरे? एलेक्जेंडर ज़ेवियर ने कहा कि डरने की क्या ज़रूरत है? मेरी तो इतनी बार चेकिंग हुई कुछ नहीं निकला. निगेटिव था.
 

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