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This Article is From Jun 19, 2014

बगदाद में केरल की नर्सों ने कहा, सामान्य है जिंदगी

तिरुवनंतपुरम:

उत्तरी इराक के तिकरित में फंसी 46 भारतीय नर्सों के विपरीत बगदाद में काम करने वाली नर्सें अपना काम कर रही हैं। इन नर्सों में से अधिकांश केरल की हैं। गुरुवार को बगदाद में काम कर रही नर्सों ने कहा कि देश के कई हिस्सों पर सुन्नी आतंकवादियों के कब्जा जमा लेने के बावजूद यहां उनकी जिंदगी सामान्य रूप से चल रही है।

बगदाद से फोन पर आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए केरल की एक नर्स ने कहा, "यहां भारी जांच पड़ताल के बावजूद जिंदगी सामान्य है।"

उन्होंने कहा कि वह बगदाद मेडिकल सिटी के एक कांप्लेक्स में रह रही है। इस सिटी में 15 अस्पताल हैं।

नर्स ने बताया, "चूंकि हम कांप्लेक्स के भीतर रहते हैं इसलिए हमें असुरक्षित महसूस करने का कोई कारण नहीं है। हमारे इराकी साथियों ने हमसे कहा है कि अभी डरने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने यह भी बताया कि बगदाद मेडिकल सिटी से बगदाद हवाई अड्डा महज 15 मिनट की दूरी पर है।

नर्स ने अपना नाम जाहिर नहीं होने देने की शर्त पर बताया, "केवल यही फर्क है कि अभी सुरक्षा बहुत ज्यादा बढ़ गई है।"

उन्होंने कहा कि कांप्लेक्स में काम करने वाली 74 नर्सें भारतीय हैं जिनमें से 73 केरल की हैं। ये सभी इसी वर्ष के शुरू में इराक आई हैं।

बगदाद हवाई अड्डे से 70 किलोमीटर दूर कर्बला क्षेत्र में काम करने वाली एक दूसरी नर्स ने भी बताया कि पहले की ही तरह जिंदगी सामान्य रूप से चल रही है।

उन्होंने इस बात का भी खंडन किया कि इराक के सभी हिस्से आतंकवादियों के हमले के खतरे के साए में है।

नर्स ने बताया, "भारत में कुछ टीवी चैनल यहां के मुद्दे को बढ़ाचढ़ा कर पेश कर रहे हैं। यह सच नहीं है। कुछ चैनल वाले केरल में मेरे घर गए थे और यह सुनने के बाद कि पूरा देश संकट से प्रभावित है मेरे माता-पिता भी घबराहट में हैं।"

अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर नर्स ने कहा, "मेरे मामले में हमारे सामने कोई खतरा नहीं है। हमारे अस्पताल के प्रबंधन ने हमे आश्वासन दिया है कि चीजें बिलकुल सामान्य हैं और चिंता करने की कोई बात नहीं है।"

उधर अमेरिका द्वारा फांसी दे दिए गए इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के गृह नगर तिकरित से एक नर्स ने बताया कि वह और उनकी साथी चिंतित हैं।

ज्ञात हो कि केरल की 46 नर्सें उत्तरी इराक के तिकरित कस्बे में फंसी हुई हैं। बुधवार को इन नर्सो ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों से या तो उन्हें घर वापस भेजने या फिर उनके काम की जगह बदलने का अनुरोध किया।

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