
नई दिल्ली:
अगर किसी बोर्ड में 5 मेंबर हों और इंटरव्यू देने वाले किसी उम्मीदवार को सारे मेंबर एकदम एक बराबर नंबर देते हैं तो इसे क्या माना जाए चमत्कार या फिर चालबाज़ी? साल 2012-13 में नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन यानी एनपीसीसी के ऊंचे पदों के लिए आवेदन दिया था और फिर कामयाब भी रहे।
एनपीसीसी जलसंसाधन मंत्रालय से जुड़ी एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, जो देश और विदेश में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट निर्माण का काम करती है। व्हीसलब्लोअर के तौर पर जानकारी जुटाने वाले एसआर हुसैन कहते हैं कि इस घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री, सीवीसी और उमा भारती तक को शिकायत कर चुके हैं कि सब लोगों का रवैया टाल-मटोल वाला ही है।
एनपीसीसी में भर्ती से जुड़ी एक आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ कि स्क्रूटनी में फेल उम्मीदवारों को न सिर्फ इंटरव्यू में बुलाया बल्कि चुना भी गया। इंटरव्यू से सिर्फ 4 चार दिन पहले कॉल लेटर भेजा गया ताकि ज्यादा लोग पहुंच ही न सकें।
मैनेजर और डिप्टी मैनेजर के लिए सिर्फ 7 उम्मीदवार पहुंचे सारे चुन लिए गए। पांचों बोर्ड मेंबर्स ने हर उम्मीदवार को बराबर नंबर दिए हैं। तीन लोगों ने इंटरव्यू जनरल मैनेजर का दिया पर चुनाव ज्वाइंट जनरल मैनेजर के लिए हुआ और वह भी ज्वाइंट जनरल मैनेजर के इंटरव्यू से पहले ही।
एक उम्मीदवार के खिलाफ सीवीसी ने पेनाल्टी की बात की थी। उसका प्रमोशन हो गया। चुने गए लोगों में एक उम्मीदवार के पास 2004 में ही 2005 तक का एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट था। ज्वाइंट जनरल मैनेजर सिविल इंजीनियरिंग के पोस्ट पर ऐसा शख्स चुना गया, जिस पर दो बार पेनाल्टी लगी थी।
इतने बड़े पैमाने पर घोटाले के बावजूद अधिकारियों का इरादा मामले की विभागीय जांच कर रफा दफा करने का है, रही बात सीवीसी के जांच की तो उसमें जिम्मेदारी सिर्फ कंपनी के कर्मचारियों पर डाली गई बोर्ड के सदस्यों पर कोई उंगली नहीं उठी। एनपीसीसी के सीएमडी एचएल चौधरी कहते हैं कि पांच- छह लोगों को चार्जशीट दिया गया है और ये मामला सीवीसी और विभाग के सीवीओ के पास है। जैसे ही कोई निर्देश आएगा हम उसका पालन करेंगे।
सारा मामला सामने आने के बाद अब कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने इसे गंभीर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। रेणुका चौधरी ने कहा कि हमने बहुत पहले से सीबीआई जांच की बात की है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
एनपीसीसी जलसंसाधन मंत्रालय से जुड़ी एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, जो देश और विदेश में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट निर्माण का काम करती है। व्हीसलब्लोअर के तौर पर जानकारी जुटाने वाले एसआर हुसैन कहते हैं कि इस घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री, सीवीसी और उमा भारती तक को शिकायत कर चुके हैं कि सब लोगों का रवैया टाल-मटोल वाला ही है।
एनपीसीसी में भर्ती से जुड़ी एक आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ कि स्क्रूटनी में फेल उम्मीदवारों को न सिर्फ इंटरव्यू में बुलाया बल्कि चुना भी गया। इंटरव्यू से सिर्फ 4 चार दिन पहले कॉल लेटर भेजा गया ताकि ज्यादा लोग पहुंच ही न सकें।
मैनेजर और डिप्टी मैनेजर के लिए सिर्फ 7 उम्मीदवार पहुंचे सारे चुन लिए गए। पांचों बोर्ड मेंबर्स ने हर उम्मीदवार को बराबर नंबर दिए हैं। तीन लोगों ने इंटरव्यू जनरल मैनेजर का दिया पर चुनाव ज्वाइंट जनरल मैनेजर के लिए हुआ और वह भी ज्वाइंट जनरल मैनेजर के इंटरव्यू से पहले ही।
एक उम्मीदवार के खिलाफ सीवीसी ने पेनाल्टी की बात की थी। उसका प्रमोशन हो गया। चुने गए लोगों में एक उम्मीदवार के पास 2004 में ही 2005 तक का एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट था। ज्वाइंट जनरल मैनेजर सिविल इंजीनियरिंग के पोस्ट पर ऐसा शख्स चुना गया, जिस पर दो बार पेनाल्टी लगी थी।
इतने बड़े पैमाने पर घोटाले के बावजूद अधिकारियों का इरादा मामले की विभागीय जांच कर रफा दफा करने का है, रही बात सीवीसी के जांच की तो उसमें जिम्मेदारी सिर्फ कंपनी के कर्मचारियों पर डाली गई बोर्ड के सदस्यों पर कोई उंगली नहीं उठी। एनपीसीसी के सीएमडी एचएल चौधरी कहते हैं कि पांच- छह लोगों को चार्जशीट दिया गया है और ये मामला सीवीसी और विभाग के सीवीओ के पास है। जैसे ही कोई निर्देश आएगा हम उसका पालन करेंगे।
सारा मामला सामने आने के बाद अब कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने इसे गंभीर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। रेणुका चौधरी ने कहा कि हमने बहुत पहले से सीबीआई जांच की बात की है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।