नई दिल्ली:
उत्तरी ग्रिड के रविवार देर रात 2.32 बजे ठप हो जाने के बाद उत्तर भारत के सात राज्यों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई।
खराबी को सोमवार दोपहर तक भी पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सका। इससे रेल, मेट्रो और सड़क यातायात ही नहीं अस्पताल भी प्रभावित रहे।
अधिकारियों ने बताया कि आगरा के नजदीक कहीं ग्रिड में गड़बड़ी हुई, जिससे पूरा बिजली आपूर्ति तंत्र बैठ गया।
पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक वीवी शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू एवं कश्मीर में बिजली आपूर्ति प्रभावित रही।
ग्रिड की देखरेख करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया की सहायक इकाई पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों से मिलने वाली बिजली से बिजली आपूर्ति बहाल करने की कोशिश करती रही।
इस बीच रेलवे और दिल्ली मेट्रो को बिजली की आपूर्ति सुबह नौ बजे तक बहाल कर दी गई।
कम्पनी के मुताबिक दक्षिण दिल्ली के बदरपुर के कुछ हिस्से, उत्तर प्रदेश के नरौरा और सिम्भावली और राजस्थान का भिनमा हालांकि इस बिजली संकट से अप्रभावित रहा।
दोपहर तक उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई।
ऊर्जा मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने सोमवार को नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि बिजली आपूर्ति बहाल करने की दिशा में युद्ध स्तर पर काम जारी है। उन्होंने कहा कि अनिवार्य सेवाएं प्रभावित नहीं हुई हैं।
बिजली संकट की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया गया है।
जल प्रसंस्करण संयंत्र के भी बिजली संकट से प्रभावित हो जाने के कारण लाखों लोग बिजली और पानी के दोहरे संकट में फंस गए।
राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में आपात व्यवस्था के तौर पर जेनरेटर का उपयोग किया गया।
रेल अधिकारियों के मुताबिक ग्रिड खराब होने के कारण उत्तर रेल के आठ डिवीजनों में करीब 300 रेलगाड़ियों में करीब डेढ़ लाख सवारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस दौरान यात्री रेलगाड़ियों में सेवा बहाल करने को प्राथमिकता देने के कारण 200 मालगाड़ियों की सेवा रद्द की गई, जिससे देश को 100 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान होने का अनुमान है।
रेल अधिकारियों के मुताबिक बिजली संकट के चलते दिल्ली-कानपुर-लखनऊ और दिल्ली, लखनऊ, इलाहाबाद और वाराणसी तथा मुरादाबाद के बीच चलने वाली कई रेलगाड़ियां रास्ते पर खड़ी हो गईं। कई महत्वपूर्ण रेलगाड़ियों को डीजल इंजनों के जरिए उनके गंतव्य तक ले जाने की कोशिश की गई।
दिल्ली मेट्रो की सेवाएं पूरी तरह सुबह 8.45 बजे के आसपास फिर से बहाल हो पाईं।
दिल्ली मेट्रो के एक अधिकारी ने बताया, "सभी छह लाइनों पर सुबह 8.45 बजे मेट्रो सेवाएं बहाल हो गई हैं। हम प्राथमिकता के आधार पर भूटान से पनबिजली ले रहे हैं।" उन्होंने बताया कि दिल्ली मेट्रो, प्रधानमंत्री आवास व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आपातकालीन सेवाओं में शामिल है। इन स्थानों पर आपूर्ति बहाल की गई।
बिजली आपूर्ति बंद होने से ट्रैफिक सिग्नल्स ने काम करना बंद कर दिया और इससे जाम की स्थिति पैदा हो गई।
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर जनरेटर्स की मदद से हवाई सेवाएं सामान्य रूप से जारी हैं।
उत्तर प्रदेश में दोपहर तक लखनऊ और पूर्वी हिस्से में बिजली सेवा बहाल हो पाईं।
उत्तरी ग्रिड में खराबी आने और बिजली उत्पादन रुकने के सात घंटे बाद हिमाचल प्रदेश में पनबिजली उत्पादन फिर से शुरू हो गया।
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड की राज्य में 21 पनबिजली परियोजनाएं हैं, जिनमें एक दिन में अधिकतम 85 लाख इकाई बिजली का उत्पादन हो सकता है।
खराबी को सोमवार दोपहर तक भी पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सका। इससे रेल, मेट्रो और सड़क यातायात ही नहीं अस्पताल भी प्रभावित रहे।
अधिकारियों ने बताया कि आगरा के नजदीक कहीं ग्रिड में गड़बड़ी हुई, जिससे पूरा बिजली आपूर्ति तंत्र बैठ गया।
पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक वीवी शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू एवं कश्मीर में बिजली आपूर्ति प्रभावित रही।
ग्रिड की देखरेख करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया की सहायक इकाई पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों से मिलने वाली बिजली से बिजली आपूर्ति बहाल करने की कोशिश करती रही।
इस बीच रेलवे और दिल्ली मेट्रो को बिजली की आपूर्ति सुबह नौ बजे तक बहाल कर दी गई।
कम्पनी के मुताबिक दक्षिण दिल्ली के बदरपुर के कुछ हिस्से, उत्तर प्रदेश के नरौरा और सिम्भावली और राजस्थान का भिनमा हालांकि इस बिजली संकट से अप्रभावित रहा।
दोपहर तक उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई।
ऊर्जा मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने सोमवार को नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि बिजली आपूर्ति बहाल करने की दिशा में युद्ध स्तर पर काम जारी है। उन्होंने कहा कि अनिवार्य सेवाएं प्रभावित नहीं हुई हैं।
बिजली संकट की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया गया है।
जल प्रसंस्करण संयंत्र के भी बिजली संकट से प्रभावित हो जाने के कारण लाखों लोग बिजली और पानी के दोहरे संकट में फंस गए।
राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में आपात व्यवस्था के तौर पर जेनरेटर का उपयोग किया गया।
रेल अधिकारियों के मुताबिक ग्रिड खराब होने के कारण उत्तर रेल के आठ डिवीजनों में करीब 300 रेलगाड़ियों में करीब डेढ़ लाख सवारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस दौरान यात्री रेलगाड़ियों में सेवा बहाल करने को प्राथमिकता देने के कारण 200 मालगाड़ियों की सेवा रद्द की गई, जिससे देश को 100 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान होने का अनुमान है।
रेल अधिकारियों के मुताबिक बिजली संकट के चलते दिल्ली-कानपुर-लखनऊ और दिल्ली, लखनऊ, इलाहाबाद और वाराणसी तथा मुरादाबाद के बीच चलने वाली कई रेलगाड़ियां रास्ते पर खड़ी हो गईं। कई महत्वपूर्ण रेलगाड़ियों को डीजल इंजनों के जरिए उनके गंतव्य तक ले जाने की कोशिश की गई।
दिल्ली मेट्रो की सेवाएं पूरी तरह सुबह 8.45 बजे के आसपास फिर से बहाल हो पाईं।
दिल्ली मेट्रो के एक अधिकारी ने बताया, "सभी छह लाइनों पर सुबह 8.45 बजे मेट्रो सेवाएं बहाल हो गई हैं। हम प्राथमिकता के आधार पर भूटान से पनबिजली ले रहे हैं।" उन्होंने बताया कि दिल्ली मेट्रो, प्रधानमंत्री आवास व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आपातकालीन सेवाओं में शामिल है। इन स्थानों पर आपूर्ति बहाल की गई।
बिजली आपूर्ति बंद होने से ट्रैफिक सिग्नल्स ने काम करना बंद कर दिया और इससे जाम की स्थिति पैदा हो गई।
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर जनरेटर्स की मदद से हवाई सेवाएं सामान्य रूप से जारी हैं।
उत्तर प्रदेश में दोपहर तक लखनऊ और पूर्वी हिस्से में बिजली सेवा बहाल हो पाईं।
उत्तरी ग्रिड में खराबी आने और बिजली उत्पादन रुकने के सात घंटे बाद हिमाचल प्रदेश में पनबिजली उत्पादन फिर से शुरू हो गया।
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड की राज्य में 21 पनबिजली परियोजनाएं हैं, जिनमें एक दिन में अधिकतम 85 लाख इकाई बिजली का उत्पादन हो सकता है।
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