संजीव चतुर्वेदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
हाईकोर्ट ने संजीव की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मंगलवार को केंद्र के डेप्यूटेशन को बढ़ाने और एम्स में काम करने की मांग की गई थी यानी हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को ही संजीव को केंद्र की डेप्यूटेशन से सेवा मुक्त होना है। दिल्ली हाईकोर्ट में चतुर्वेदी ने कहा कि मैं हरियाणा काडर से आया था, दो साल से मुझे काम नहीं दिया गया। मुझे एम्स में काम नहीं करने दिया गया क्योंकि मैंने CVO रहते हुए एम्स के घोटालों की सीबीआई जांच करवाने को कहा, कई घोटालों को उजागर किया।' संजीव ने आगे कहा 'एम्स डायरेक्टर खुद भ्रष्टाचार में लिप्त थे। यहां तक कि इसी वजह से स्वास्थ्य मंत्री जैसे हाईप्रोफाइल लोग मेरे पीछे लग गए।'
संजीव ने कहा 'वर्तमान हेल्थ मिनिस्टर ने मुझे CVO के पद से हटाने के आदेश दिए, एम्स में दूसरा CVO नियुक्त कर दिया गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब वह सांसद थे, मैं एक मामले की जांच कर रहा था जिसमें उनकी भूमिका भी देखी जा रही थी, उस वक्त भी उन्होंने सरकार को चिट्ठी लिखी थी।' अपनी बात में संजीव ने कहा कि 'बाद में हेल्थ मिनिस्टर बनने के बाद उन्होंने मुझे हटा दिया। मेरा केंद्र में डेप्यूटेशन मंगलवार को खत्म हो रहा है, लिहाजा मेरा डेप्यूटेशन बढ़ाया जाए और मुझे वापस काम दिया जाए।
'अपनी पंसद का काम कैसे मांग सकते हैं'
वहीं केंद्र ने हाईकोर्ट में कहा कि 'सारे आरोप बेबुनियाद हैं और संजीव हरियाणा काडर में फॉरेस्ट सर्विस के अफसर हैं ना कि एम्स के अधिकारी हैं। उनकी हरियाणा में पुरानी सरकार से भी अनबन रही है और उन पर आरोप लगते रहे हैं। यानी उनकी दिक्कत एक व्यक्ति से नहीं बल्कि सब से है।' सरकार की ओर से वकील ने कहा 'सरकार अपने कर्मचारियों को काम सौंपती है कि उन्हें क्या करना है। यह अधिकार सरकार का है, वह कैसे अपनी पसंद का काम मांग सकते हैं। ऐसा नहीं है कि उनके पास कोई काम नहीं है, उन्हें काम दिया गया है, उन्हें एम्स में डिप्टी डायरेक्टर प्रशासन के साथ CVO का अतिरिक्त काम दिया गया था जो वापस ले लिया गया।' केंद्र के मुताबिक चतुर्वेदी ने अपने हरियाणा काडर से उतराखंड काडर में ट्रांसफर मांगा था, जो सरकार ने कर दिया था।
कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि '19 मई को संजीव ने दो महीने की छुट्टी मांगी थी, उन्हें वे भी दे दी गई। इसके साथ उन्होंने कहा था कि इन दो माह की छुट्टियों के बाद मुझे वापस हरियाणा काडर में जाने के लिए सोचने का वक्त दिया जाए। संजीव सरकार पर दबाव बनाकर काम करना चाहते हैं। उनका केंद्र में डेप्यूटेशन मंगलवार 28 जून को खत्म हो रहा है इसलिए उन्हें वापस स्टेट काडर में जाना है।'
संजीव ने कहा 'वर्तमान हेल्थ मिनिस्टर ने मुझे CVO के पद से हटाने के आदेश दिए, एम्स में दूसरा CVO नियुक्त कर दिया गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब वह सांसद थे, मैं एक मामले की जांच कर रहा था जिसमें उनकी भूमिका भी देखी जा रही थी, उस वक्त भी उन्होंने सरकार को चिट्ठी लिखी थी।' अपनी बात में संजीव ने कहा कि 'बाद में हेल्थ मिनिस्टर बनने के बाद उन्होंने मुझे हटा दिया। मेरा केंद्र में डेप्यूटेशन मंगलवार को खत्म हो रहा है, लिहाजा मेरा डेप्यूटेशन बढ़ाया जाए और मुझे वापस काम दिया जाए।
'अपनी पंसद का काम कैसे मांग सकते हैं'
वहीं केंद्र ने हाईकोर्ट में कहा कि 'सारे आरोप बेबुनियाद हैं और संजीव हरियाणा काडर में फॉरेस्ट सर्विस के अफसर हैं ना कि एम्स के अधिकारी हैं। उनकी हरियाणा में पुरानी सरकार से भी अनबन रही है और उन पर आरोप लगते रहे हैं। यानी उनकी दिक्कत एक व्यक्ति से नहीं बल्कि सब से है।' सरकार की ओर से वकील ने कहा 'सरकार अपने कर्मचारियों को काम सौंपती है कि उन्हें क्या करना है। यह अधिकार सरकार का है, वह कैसे अपनी पसंद का काम मांग सकते हैं। ऐसा नहीं है कि उनके पास कोई काम नहीं है, उन्हें काम दिया गया है, उन्हें एम्स में डिप्टी डायरेक्टर प्रशासन के साथ CVO का अतिरिक्त काम दिया गया था जो वापस ले लिया गया।' केंद्र के मुताबिक चतुर्वेदी ने अपने हरियाणा काडर से उतराखंड काडर में ट्रांसफर मांगा था, जो सरकार ने कर दिया था।
कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि '19 मई को संजीव ने दो महीने की छुट्टी मांगी थी, उन्हें वे भी दे दी गई। इसके साथ उन्होंने कहा था कि इन दो माह की छुट्टियों के बाद मुझे वापस हरियाणा काडर में जाने के लिए सोचने का वक्त दिया जाए। संजीव सरकार पर दबाव बनाकर काम करना चाहते हैं। उनका केंद्र में डेप्यूटेशन मंगलवार 28 जून को खत्म हो रहा है इसलिए उन्हें वापस स्टेट काडर में जाना है।'
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