
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के खिलाफ आग उगलने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आज कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) से समर्थन वापसी की उनकी फिलहाल कोई योजना नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक दिन पहले ही इस बात की संभावना जताई थी।
यादव ने एक समाचार चैनल से कहा, संबंधों में कड़वाहट नहीं आई है। मुझे नहीं पता कि प्रधानमंत्री ने किस आधार पर यह टिप्पणी की। फिलहाल समर्थन वापसी पर पार्टी के भीतर कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी सपा का संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा, अभी समर्थन वापस लेकर सरकार क्यों गिरायें जब केवल आठ-नौ महीने की बात है। मुलायम की टिप्पणी प्रधानमंत्री द्वारा सपा के संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने की संभावना स्वीकार करने की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए भाजपा ने दावा किया था कि मध्यावधि चुनाव अवश्यंभावी हो गया है, क्योंकि सरकार के पास जरूरी संख्या नहीं है जबकि जद(यू) प्रमुख शरद यादव को नहीं लगता कि मुलायम समर्थन वापस लेंगे।
इस दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव यद्यपि प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा का संकेत देते प्रतीत हुए क्योंकि उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की सरकार की तुलना गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार सहित अन्य राज्यों की सरकारों से की। उन्होंने सपा शासित उत्तर प्रदेश में क्रियान्वित विकास योजनाओं को सूचीबद्ध करते हुए कहा, क्या ऐसी योजनाएं गुजरात में क्रियान्वित हो रही हैं। इतनी अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कितना कार्य हो रहा है, लेकिन सभी की आंखें बंद हैं। उन्होंने कहा, तीसरा मोर्चा उभरेगा। मोर्चे देश की स्थिति के अनुरूप सामने आते हैं। वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री तीसरे मोर्चे का होगा।
यह पूछे जाने पर क्या वह मोर्चे का नेतृत्व करेंगे, उन्होंने कहा, यह बाद में देखा जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, उन्होंने कहा, मैंने कभी भी प्रधानमंत्री बनने के बारे में नहीं सोचा और न ही मैं अभी सोच रहा हूं।
गौरतलब है कि यादव की पार्टी केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है, उन्होंने 2जी मामले की ओर इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस उनके साथ ‘धोखा’ करती है, जो उसका समर्थन करता है। उल्लेखनीय है कि 2जी मामले में द्रमुक मंत्री ए राजा को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया था। सपा प्रमुख ने कहा, करुणानिधि ने सरकार का समर्थन किया। उनकी पार्टी सरकार में भी शामिल थी, लेकिन उन लोगों ने उनकी पार्टी के मंत्री को ही फंसाया और उसे जेल भेज दिया। वे (कांग्रेस) उसी को धोखा देते हैं, जो उनका समर्थन करते हैं।
उधर, सपा की रणनीति पर बातचीत के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम सपा को यह कहते हुए लुभाते प्रतीत हुए कि केंद्र उत्तर प्रदेश के विकास में उसके साथ खड़ा रहेगा। उन्होंने लखनऊ में कहा, मैं इस मौके पर मुख्यमंत्री और उनकी टीम के साथ ही उनकी पार्टी के प्रमुख ‘नेताजी’ को यह भरोसा देता हूं कि भारत सरकार विकास में उत्तर प्रदेश के साथ खड़ा होने को प्रतिबद्ध है।
वैसे, मुलायम ने यद्यपि अगले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ आने की संभावना से इनकार किया। उनका यह बयान लालकृष्ण आडवाणी की प्रशंसा करने वाले उनके उस बयान के बाद आया है, जिसको लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। प्रधानमंत्री की सपा पर कल की टिप्पणी ने सरकार की स्थिरता पर नई बहस शुरू कर दी थी। भाजपा सांसद बलबीर पुंज ने जोर देकर कहा था कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेगी और मध्यावधि चुनाव अवश्यंभावी है।
बलबीर पुंज ने कहा, प्रधानमंत्री चाहे जो भी कहें, लेकिन तथ्य यह है कि देश में सरकार को लेकर अस्थिरता का वातावरण है। इसीलिए
इतने लोग मध्यावधि चुनाव की बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इस सरकार ने शासन करने का लोगों का भरोसा खो दिया है और लोकसभा में उसकी संख्या को लेकर भी संदेह है। देश फिलहाल पूर्ण अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।
सपा प्रमुख ने भाजपा के साथ जाने की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि अन्य सभी उसके साथ हाथ मिला सकते हैं, सपा भाजपा के साथ कभी हाथ नहीं मिलाएगी। इसका कोई सवाल ही नहीं उठता। जदयू प्रमुख शरद यादव ने सपा के सरकार से समर्थन वापस लेने की संभावना खारिज करते हुए कहा कि सपा प्रमुख इससे पहले भी ऐसी नाराजगी जता चुके हैं क्योंकि उनका वोटबैंक कांग्रेसविरोधी है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संयोजक यादव ने कहा, वह (मुलायम) हृदय से कांग्रेसविरोधी हैं, लेकिन गत नौ वर्षों से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति में वह उनके साथ हैं। वह अभी भी उन्हें नहीं छोड़ेंगे। वह कुछ भी नया नहीं बोल रहे हैं। वह यह सब पूर्व में भी कह चुके हैं। मैं नहीं मानता कि वह उस सीमा (समर्थन वापसी) तक जाएंगे।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव तय कार्यक्रमनुसार 2014 में होंगे। शुक्ला ने सपा प्रमुख की टिप्पणियों का महत्व कम करते हुए कहा कि यदि कोई मतभेद है तो उसे दूर किया जाएगा, क्योंकि मुलायम सिंह यादव ‘‘हमारे महत्वपूर्ण सहयोगी’’ हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा कि चुनाव अप्रैल या मई 2014 में होंगे जब भी निर्धारित होगा और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
दीक्षित ने कहा, वह जो बोलते हैं उन्हें बोलने दीजिये। उन्हें भी उत्तर प्रदेश में राजनीति करनी है। सभी को मालूम है कि कौन एक बेहतर सरकार चलाता है और कौन नहीं चलाता या कौन धोखेबाज है और कौन नहीं। लेकिन यह कहने से पहले कि कौन धोखेबाज है या नहीं या कौन विकास कार्य कराता है या नहीं लोगों को उनके रिकार्ड देखने चाहिएं। दीक्षित में यादव को याद दिलाते हुए कहा, यदि वे उत्तर प्रदेश में अच्छी सरकार चला रहे होते तो उनके पास वहां पर दोबारा सरकार बनाने का रिकॉर्ड होता। किसी ने भी उस राज्य में सरकार नहीं दोहरायी जबकि कांग्रेस कम से कम दो राज्यों में दोबारा सत्ता में चुनी गई है। सरकार के दोबारा चुने जाने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि कौन बेहतर कार्य करता है।
यादव ने एक समाचार चैनल से कहा, संबंधों में कड़वाहट नहीं आई है। मुझे नहीं पता कि प्रधानमंत्री ने किस आधार पर यह टिप्पणी की। फिलहाल समर्थन वापसी पर पार्टी के भीतर कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी सपा का संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा, अभी समर्थन वापस लेकर सरकार क्यों गिरायें जब केवल आठ-नौ महीने की बात है। मुलायम की टिप्पणी प्रधानमंत्री द्वारा सपा के संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने की संभावना स्वीकार करने की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए भाजपा ने दावा किया था कि मध्यावधि चुनाव अवश्यंभावी हो गया है, क्योंकि सरकार के पास जरूरी संख्या नहीं है जबकि जद(यू) प्रमुख शरद यादव को नहीं लगता कि मुलायम समर्थन वापस लेंगे।
इस दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव यद्यपि प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा का संकेत देते प्रतीत हुए क्योंकि उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की सरकार की तुलना गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार सहित अन्य राज्यों की सरकारों से की। उन्होंने सपा शासित उत्तर प्रदेश में क्रियान्वित विकास योजनाओं को सूचीबद्ध करते हुए कहा, क्या ऐसी योजनाएं गुजरात में क्रियान्वित हो रही हैं। इतनी अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कितना कार्य हो रहा है, लेकिन सभी की आंखें बंद हैं। उन्होंने कहा, तीसरा मोर्चा उभरेगा। मोर्चे देश की स्थिति के अनुरूप सामने आते हैं। वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री तीसरे मोर्चे का होगा।
यह पूछे जाने पर क्या वह मोर्चे का नेतृत्व करेंगे, उन्होंने कहा, यह बाद में देखा जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, उन्होंने कहा, मैंने कभी भी प्रधानमंत्री बनने के बारे में नहीं सोचा और न ही मैं अभी सोच रहा हूं।
गौरतलब है कि यादव की पार्टी केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है, उन्होंने 2जी मामले की ओर इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस उनके साथ ‘धोखा’ करती है, जो उसका समर्थन करता है। उल्लेखनीय है कि 2जी मामले में द्रमुक मंत्री ए राजा को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया था। सपा प्रमुख ने कहा, करुणानिधि ने सरकार का समर्थन किया। उनकी पार्टी सरकार में भी शामिल थी, लेकिन उन लोगों ने उनकी पार्टी के मंत्री को ही फंसाया और उसे जेल भेज दिया। वे (कांग्रेस) उसी को धोखा देते हैं, जो उनका समर्थन करते हैं।
उधर, सपा की रणनीति पर बातचीत के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम सपा को यह कहते हुए लुभाते प्रतीत हुए कि केंद्र उत्तर प्रदेश के विकास में उसके साथ खड़ा रहेगा। उन्होंने लखनऊ में कहा, मैं इस मौके पर मुख्यमंत्री और उनकी टीम के साथ ही उनकी पार्टी के प्रमुख ‘नेताजी’ को यह भरोसा देता हूं कि भारत सरकार विकास में उत्तर प्रदेश के साथ खड़ा होने को प्रतिबद्ध है।
वैसे, मुलायम ने यद्यपि अगले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ आने की संभावना से इनकार किया। उनका यह बयान लालकृष्ण आडवाणी की प्रशंसा करने वाले उनके उस बयान के बाद आया है, जिसको लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। प्रधानमंत्री की सपा पर कल की टिप्पणी ने सरकार की स्थिरता पर नई बहस शुरू कर दी थी। भाजपा सांसद बलबीर पुंज ने जोर देकर कहा था कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेगी और मध्यावधि चुनाव अवश्यंभावी है।
बलबीर पुंज ने कहा, प्रधानमंत्री चाहे जो भी कहें, लेकिन तथ्य यह है कि देश में सरकार को लेकर अस्थिरता का वातावरण है। इसीलिए
इतने लोग मध्यावधि चुनाव की बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इस सरकार ने शासन करने का लोगों का भरोसा खो दिया है और लोकसभा में उसकी संख्या को लेकर भी संदेह है। देश फिलहाल पूर्ण अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।
सपा प्रमुख ने भाजपा के साथ जाने की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि अन्य सभी उसके साथ हाथ मिला सकते हैं, सपा भाजपा के साथ कभी हाथ नहीं मिलाएगी। इसका कोई सवाल ही नहीं उठता। जदयू प्रमुख शरद यादव ने सपा के सरकार से समर्थन वापस लेने की संभावना खारिज करते हुए कहा कि सपा प्रमुख इससे पहले भी ऐसी नाराजगी जता चुके हैं क्योंकि उनका वोटबैंक कांग्रेसविरोधी है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संयोजक यादव ने कहा, वह (मुलायम) हृदय से कांग्रेसविरोधी हैं, लेकिन गत नौ वर्षों से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति में वह उनके साथ हैं। वह अभी भी उन्हें नहीं छोड़ेंगे। वह कुछ भी नया नहीं बोल रहे हैं। वह यह सब पूर्व में भी कह चुके हैं। मैं नहीं मानता कि वह उस सीमा (समर्थन वापसी) तक जाएंगे।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव तय कार्यक्रमनुसार 2014 में होंगे। शुक्ला ने सपा प्रमुख की टिप्पणियों का महत्व कम करते हुए कहा कि यदि कोई मतभेद है तो उसे दूर किया जाएगा, क्योंकि मुलायम सिंह यादव ‘‘हमारे महत्वपूर्ण सहयोगी’’ हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा कि चुनाव अप्रैल या मई 2014 में होंगे जब भी निर्धारित होगा और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
दीक्षित ने कहा, वह जो बोलते हैं उन्हें बोलने दीजिये। उन्हें भी उत्तर प्रदेश में राजनीति करनी है। सभी को मालूम है कि कौन एक बेहतर सरकार चलाता है और कौन नहीं चलाता या कौन धोखेबाज है और कौन नहीं। लेकिन यह कहने से पहले कि कौन धोखेबाज है या नहीं या कौन विकास कार्य कराता है या नहीं लोगों को उनके रिकार्ड देखने चाहिएं। दीक्षित में यादव को याद दिलाते हुए कहा, यदि वे उत्तर प्रदेश में अच्छी सरकार चला रहे होते तो उनके पास वहां पर दोबारा सरकार बनाने का रिकॉर्ड होता। किसी ने भी उस राज्य में सरकार नहीं दोहरायी जबकि कांग्रेस कम से कम दो राज्यों में दोबारा सत्ता में चुनी गई है। सरकार के दोबारा चुने जाने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि कौन बेहतर कार्य करता है।
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