बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार में इंटरमीडियट की परीक्षा में टॉपर्स को लेकर चल रहे विवाद पर प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा, जिम्मेदारी तय की जाएगी और कार्रवाई भी होगी।
पत्रकारों से नीतीश ने कहा कि सब तरह के लोग हैं। पहले भी परीक्षा में टॉप 10 की जांच करायी जाती थी। मुझे जानकारी मिली है कि कार्रवाई हो रही है। गत वर्ष मैट्रिक परीक्षा के दौरान चोरी करते हुए जो तस्वीर सामने आयी थी तो उस पर हमने कार्रवाई की। इस बार मैट्रिक परीक्षा में पूरी सख्ती बरती गयी थी।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) 12वीं के परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रकरण में भी शिक्षा विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। दोषियों के खिलाफ पहले भी कठोर कार्रवाई की गयी थी। आगे भी किसी को बख्शा नहीं जायेगा। इसकी पूरी जांच होगी इसके बाद आगे से ऐसे किसी प्रकार की गलती होने की गुंजाइश नहीं रहेगी। किसी को छूट नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग पूरी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है। जिम्मेदारी तय होने पर कार्रवाई की जायेगी। दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज करते हुये कार्रवाई की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि इंटरमीडियट परीक्षा में टॉपर्स रहे इन अभ्यथियों के टीवी चैनलों पर विषय संबंधित और उनके विशेष ज्ञान के बारे में टेलीकास्ट किए जाने से एक बार फिर इस प्रदेश की स्कूली शिक्षा की किरकिरी होने पर शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने इसमें बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से ‘चूक’ होने पर नाराजगी जतायी थी।
इस बीच, शिक्षा विभाग ने भी इंटरमीडिएट (कला व विज्ञान 2016) की परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय कमिटी का गठन किया है जिसमें बीएसइआइडीसी के अध्यक्ष संजीवन सिन्हा, माध्यमिक शिक्षा निदेशक राजीव प्रसाद सिंह रंजन एवं जनशिक्षा के निदेशक विनोदानंद झा शामिल हैं।
शिक्षा मंत्री द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति इंटरमीडिएट (कला व विज्ञान 2016) की परीक्षा में हुई गड़बड़ी के सभी पहलुओं पर जांच कर आगामी 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) ने भी विज्ञान संकाय के टॉपर्स सहित एक अन्य अभ्यर्थी के परीक्षा परिणाम को शनिवार रद्द करते हुए पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन का निर्णय लिया था।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने बताया कि पूरे प्रकरण की जांच के लिए शनिवार शाम ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर लिया गया है, जो पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश घनश्याम प्रसाद की अध्यक्षता में काम करेगी तथा इस समिति को यथाशीघ्र रिपोर्ट देने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि इनके साथ समिति के अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी श्रीवास्तव, पूर्व आईपीएस अधिकारी मिठू प्रसाद को शामिल किया गया है। लालकेश्वर ने बताया कि समिति के अध्यक्ष को इस समिति में एक पूर्व शिक्षाविद सलाहकार को शामिल कर लें।
बिहार में इंटरमीडियट परीक्षा के कला संकाय में प्रदेश में टॉपर रही रूबी राय और विज्ञान संकाय में टॉपर रहे सौरव श्रेष्ठ के साथ दोनों संकाय के प्रथम सात-सात टॉपर्स को दोबारा जांच के लिए गत तीन जून को पटना बुलाया गया था जिसमें रूबी राय को छोड़कर शेष 13 परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
गत तीन जून को आयोजित जांच परीक्षा में 13 शीर्ष परीक्षार्थियों में से 11 को शीर्ष योग्य पाया गया और दो सौरभ श्रेष्ठ (विज्ञान संकाय में टॉपर रहे) तथा राहुल कुमार (विज्ञान संकाय में तीसरे स्थान पर रहे) को मापदंड के अनुसार नहीं पाए जाने के कारण उनके परीक्षा परिणाम को रद्द कर दिया गया था।
कला संकाय में टॉपर रही रूबी राय के पिता ने आवेदन में कहा कि वह ‘डिप्रेशन’ में हैं। इसलिए रूबी को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह का अवसर प्रदान करते हुए उन्हें आगामी 11 जून को उपस्थित होने को कहा है। रूबी ने एक टीवी चैनल को में पॉलिटिकल साइंस को ‘प्रोडिकल साईंस’ उच्चारित किए जाने के साथ कहा था कि पॉलिटिकल साइंस में खाना बनाने की पढ़ाई होती है। इसी प्रकार से विज्ञान संकाय में टॉपर रहे सौरव श्रेष्ठ के प्रोटोन और इलेक्ट्रोन से अवगत नहीं होने की बात सामने आयी थी।
उल्लेखनीय है कि ये दोनों टॉपर रूबी राय और सौरभ श्रेष्ठ वैशाली जिला के भगवानपुर स्थित विशुन राय कॉलेज के हैं। पिछले साल परीक्षा में सामूहिक नकल को लेकर यह कॉलेज विवाद में आया था। गत तीन जून को जांच के दौरान सौरभ को मापदंड के अनुसार नहीं पाए जाने पर विशुन राय कॉलेज का निबंधन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पत्रकारों से नीतीश ने कहा कि सब तरह के लोग हैं। पहले भी परीक्षा में टॉप 10 की जांच करायी जाती थी। मुझे जानकारी मिली है कि कार्रवाई हो रही है। गत वर्ष मैट्रिक परीक्षा के दौरान चोरी करते हुए जो तस्वीर सामने आयी थी तो उस पर हमने कार्रवाई की। इस बार मैट्रिक परीक्षा में पूरी सख्ती बरती गयी थी।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) 12वीं के परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रकरण में भी शिक्षा विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। दोषियों के खिलाफ पहले भी कठोर कार्रवाई की गयी थी। आगे भी किसी को बख्शा नहीं जायेगा। इसकी पूरी जांच होगी इसके बाद आगे से ऐसे किसी प्रकार की गलती होने की गुंजाइश नहीं रहेगी। किसी को छूट नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग पूरी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है। जिम्मेदारी तय होने पर कार्रवाई की जायेगी। दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज करते हुये कार्रवाई की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि इंटरमीडियट परीक्षा में टॉपर्स रहे इन अभ्यथियों के टीवी चैनलों पर विषय संबंधित और उनके विशेष ज्ञान के बारे में टेलीकास्ट किए जाने से एक बार फिर इस प्रदेश की स्कूली शिक्षा की किरकिरी होने पर शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने इसमें बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से ‘चूक’ होने पर नाराजगी जतायी थी।
इस बीच, शिक्षा विभाग ने भी इंटरमीडिएट (कला व विज्ञान 2016) की परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय कमिटी का गठन किया है जिसमें बीएसइआइडीसी के अध्यक्ष संजीवन सिन्हा, माध्यमिक शिक्षा निदेशक राजीव प्रसाद सिंह रंजन एवं जनशिक्षा के निदेशक विनोदानंद झा शामिल हैं।
शिक्षा मंत्री द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति इंटरमीडिएट (कला व विज्ञान 2016) की परीक्षा में हुई गड़बड़ी के सभी पहलुओं पर जांच कर आगामी 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) ने भी विज्ञान संकाय के टॉपर्स सहित एक अन्य अभ्यर्थी के परीक्षा परिणाम को शनिवार रद्द करते हुए पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन का निर्णय लिया था।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने बताया कि पूरे प्रकरण की जांच के लिए शनिवार शाम ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर लिया गया है, जो पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश घनश्याम प्रसाद की अध्यक्षता में काम करेगी तथा इस समिति को यथाशीघ्र रिपोर्ट देने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि इनके साथ समिति के अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी श्रीवास्तव, पूर्व आईपीएस अधिकारी मिठू प्रसाद को शामिल किया गया है। लालकेश्वर ने बताया कि समिति के अध्यक्ष को इस समिति में एक पूर्व शिक्षाविद सलाहकार को शामिल कर लें।
बिहार में इंटरमीडियट परीक्षा के कला संकाय में प्रदेश में टॉपर रही रूबी राय और विज्ञान संकाय में टॉपर रहे सौरव श्रेष्ठ के साथ दोनों संकाय के प्रथम सात-सात टॉपर्स को दोबारा जांच के लिए गत तीन जून को पटना बुलाया गया था जिसमें रूबी राय को छोड़कर शेष 13 परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
गत तीन जून को आयोजित जांच परीक्षा में 13 शीर्ष परीक्षार्थियों में से 11 को शीर्ष योग्य पाया गया और दो सौरभ श्रेष्ठ (विज्ञान संकाय में टॉपर रहे) तथा राहुल कुमार (विज्ञान संकाय में तीसरे स्थान पर रहे) को मापदंड के अनुसार नहीं पाए जाने के कारण उनके परीक्षा परिणाम को रद्द कर दिया गया था।
कला संकाय में टॉपर रही रूबी राय के पिता ने आवेदन में कहा कि वह ‘डिप्रेशन’ में हैं। इसलिए रूबी को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह का अवसर प्रदान करते हुए उन्हें आगामी 11 जून को उपस्थित होने को कहा है। रूबी ने एक टीवी चैनल को में पॉलिटिकल साइंस को ‘प्रोडिकल साईंस’ उच्चारित किए जाने के साथ कहा था कि पॉलिटिकल साइंस में खाना बनाने की पढ़ाई होती है। इसी प्रकार से विज्ञान संकाय में टॉपर रहे सौरव श्रेष्ठ के प्रोटोन और इलेक्ट्रोन से अवगत नहीं होने की बात सामने आयी थी।
उल्लेखनीय है कि ये दोनों टॉपर रूबी राय और सौरभ श्रेष्ठ वैशाली जिला के भगवानपुर स्थित विशुन राय कॉलेज के हैं। पिछले साल परीक्षा में सामूहिक नकल को लेकर यह कॉलेज विवाद में आया था। गत तीन जून को जांच के दौरान सौरभ को मापदंड के अनुसार नहीं पाए जाने पर विशुन राय कॉलेज का निबंधन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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