महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकार के विश्वासमत जीतने से पहले शिवसेना के प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा। यह बात बुधवार को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कही।
उनकी इस टिप्पणी से शिवसेना खुश नहीं है और यह दोनों दलों के बीच सत्ता में साझीदारी को लेकर चल रहे मतभेद को दर्शाता है।
यह पूछने पर कि क्या 12 नवम्बर को विधानसभा में विश्वास-मत जीतने से पहले शिवसेना के मंत्रियों को उनकी सरकार में शामिल किया जाएगा, फडणवीस ने कहा, 'पहले विश्वास फिर विस्तार।'
फडणवीस ने कहा कि सरकार में शिवसेना की भागीदारी के लिए 'उपयुक्त स्तर' पर बातचीत जारी है और इस सिलसिले में दिल्ली में घोषणा की जाएगी।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और धर्मेन्द्र प्रधान शिवसेना के वार्ताकारों से बातचीत कर रहे हैं।
फडणवीस के बयान पर शिवसेना ने नाराजगी जताई और पार्टी के एक सांसद ने कहा है कि भाजपा उसे सम्मान के साथ सरकार में शामिल नहीं करना चाहती और शनिवार तक अगर सरकार में शामिल होने के बारे में कोई 'सम्मानजनक समाधान' नहीं निकलता है तो शिवसेना विपक्ष में बैठेगी।
उन्होंने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'फडणवीस की बात सुनने के बाद हममें यही भावना मजबूत हुई है कि वे (भाजपा) सम्मान के साथ हमें सरकार में शामिल नहीं करना चाहते। लेकिन अगर शनिवार तक वे सम्मानजनक समाधान नहीं बताते हैं तो हमें विपक्ष में बैठना पड़ेगा।'
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