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This Article is From Aug 22, 2017

बिहार के नेताओं की भाषा पर आखिर लगाम क्‍यों नहीं लग रही? जानें वजहें...

इस वाकयुद्ध की शुरुआत राजद अध्यक्ष लालू यादव ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को पलटू राम और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को सलटू राम कह कर की.

बिहार के नेताओं की भाषा पर आखिर लगाम क्‍यों नहीं लग रही? जानें वजहें...
लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)
पटना: बिहार के राजनेता अपनी भाषा पर संयम खोते जा रहे हैं. खासकर राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड के नेता. हर दिन दोनों तरफ के नेता एक-दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग का एक नया मोर्चा खोल रहे हैं. इस वाकयुद्ध की शुरुआत राजद अध्यक्ष लालू यादव ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को पलटू राम और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को सलटू राम कह कर की. तुरंत जनता दल यूनाइटेड के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने लालू यादव को घोटाला राम और दूसरे प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू यादव को घसीटा राम कह डाला.

जहां लालू ने नीतीश के नये राजनीतिक सहयोगी और क़दम के कारण उन्हें पलटू राम कहा, वहीं संजय सिंह का कहना है कि चूंकि लालू यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में केवल घोटाला किया है, इसलिए उन्हें घोटाला राम कहा. वहीं नीरज ने सफ़ाई दी कि हर हफ़्ते रांची के कोर्ट में हाज़िरी लगाने वाले लालू यादव को उन्होंने घसीटा राम कहा क्योंकि कोर्ट उन्हें घसीट-घसीट कर चक्कर लगवाती है.

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लेकिन सोमवार को उस समय हद हो गई जब राजद के एक प्रवक्ता शक्ति यादव ने संजय सिंह पर कहा कि क्या सृजन घोटाले में मृतक महेश मंडल उनके बहनोई या साला लगते थे? इसके अलावा उनकी पार्टी के अध्यक्ष लालू यादव ने एक सभा में नीतीश कुमार को 'दोगला' तक कह डाला. हालांकि लालू की सफ़ाई थी कि उनके कहने का तात्पर्य था की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो नीतीश कुमार के DNA में ख़राबी की बात कही, उसका मतलब दोगला हुआ.

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इस पर जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह ने लालू यादव को सलाह दी कि इस बार रांची जाएं तो कांके के मानसिक आरोग्यशाला में जाकर इलाज करा लें क्योंकि सत्‍त जाने के बाद उनकी वाणी अब दिनोंदिन ख़राब होती जा रही हैं. बिहार के नेताओं का ये वाकयुद्ध उनके समर्थकों को भले अच्छा लगे लेकिन ये राजनीति के गिरते स्तर का भी परिचायक है.
 

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