केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को कहा कि सरकार हाल में पेश राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) के तहत पुराने वाहनों को कबाड़ (Scrap) में बदलने के बाद खरीदी जाने वाली नई गाड़ियों पर टैक्स संबंधित और रियायतें देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. गडकरी ने यह भी कहा कि नई कबाड़ नीति से प्रदूषण में कमी आएगी. उन्होंने मारुति सुजुकी तोयोत्सु के कबाड़ और पुनर्चक्रण सुविधा केंद्र का उद्घाटन करते यह बात कही. यह सरकार से मंजूरी प्राप्त इस प्रकार का पहला केंद्र है.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि कबाड़ नीति से केंद्र और राज्यों दोनों का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व बढ़ेगा. मैं वित्त मंत्रालय से इस पर चर्चा करूंगा कि नई नीति के तहत किस प्रकार कर संबंधित और रियायतें दी जा सकती हैं. नई नीति के तहत केंद्र ने कहा था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने के बाद नई गाड़ी लेने पर पथकर पर 25 प्रतिशत तक छूट देंगे.
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गडकरी ने कहा कि वह जीएसटी परिषद से भी इस बात की संभावना टटोलने का आग्रह कर रहे हैं कि नई नीति के तहत क्या और प्रोत्साहन दिये जा सकते हैं. इस बारे में अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय और जीएसटी परिषद करेगी. कबाड़ नीति से सभी पक्षों को लाभ होगा क्योंकि इससे विनिर्माण को गति मिलेगी, नौकरियां सृजित होंगी और केंद्र तथा राज्यों दोनों को जीएसटी मद में 40,000-40,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व प्राप्त होगा. कबाड़ नीति प्रदूषण पर लगाम लगाने और रोजगार सृजित करने लिहाज से महत्वपूर्ण है.
गडकरी ने कहा कि पुरानी गाड़ियां नये वाहनों की तुलना में अधिक प्रदूषण फैलाती हैं. अत: उन्हें हटाने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि कबाड़ नीति से बिक्री 10 से 12 प्रतिशत तक बढ़ेगी. कबाड़ नीति अर्थव्यवस्था के लिये भी महत्वपूर्ण है. हमें कच्चा माल कम लागत पर मिल सकेगा. इससे उत्पादन लागत में कमी आ सकती है. केंद्र देश के हर जिले में कम-से-कम 3-4 वाहन पुनर्चक्रण या कबाड़ केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है. अगले दो-तीन साल में 200-300 कबाड़ केंद्र होंगे.
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गडकरी ने यह भी कहा कि वाहन क्षेत्र का सालाना कारोबार 7.5 लाख करोड़ रुपये है और उनका लक्ष्य इसे पांच साल में बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रुपये करने का है. भारत ने 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. मुझे भरोसा है कि कबाड़ नीति इसमें मददगार होगी. इस मौके पर मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी केनिची आयुकावा ने कहा कि कई देशों की तरह, हमें एक ऐसी नीति की आवश्यकता है, जहां हर 3-4 साल में वाहनों के ‘फिटनेस' की जांच की जाए. हमें 15 साल इंतजार करने की जरूरत नहीं है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं