ग्राउंड रिपोर्ट : श्रीनगर के एनआईटी कैंपस में बवाल के बाद कैसा है सूरते हाल

ग्राउंड रिपोर्ट : श्रीनगर के एनआईटी कैंपस में बवाल के बाद कैसा है सूरते हाल

श्रीनगर:

एनआईटी श्रीनगर में बाहरी छात्रों की पिटाई का मामला गरमाता जा रहा है। छात्रों की मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो और प्रशासनिक अधिकारियों को हटाया जाए। जबकि राज्य सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
 
इधर एनआईटी श्रीनगर के छात्रों की पिटाई के वीडियो लगातार सामने आ रहे हैं जिनसे पता चलता है कि उनको बुरी तरह मारा गया है। इस बीच पुलिस ने भी एक वीडियो पेश किया है जिसमें ये दावा किया गया है कि छात्रों ने ही बवाल शुरू किया। छात्रों में डर, अंदेशा, गुस्सा सब दिख रहा है।

 

एक छात्र ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "यहां कुछ भी सही नहीं है, हम घर जाना चाहते हैं लेकिन पुलिस हमें कैम्पस के बाहर तक नहीं जाने दे रही।" एक दूसरी छात्रा ने कहा, "हमें करवाई के नाम पर डराया जा रहा है हमने सुना है की प्रशासन ३१ छात्रों के ख़िलाफ़ करवाई करने वाला है।'

इस हंगामे के बीच मानव संसाधन मंत्रालय की ओर आई टीम ने छात्रों से बात की। छात्रों का कहना है...
- दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो
- एनआईटी के प्रशासनिक अधिकारियों को हटाया जाए क्योंकि वे उनका करिअर खराब कर सकते हैं।
- इम्तिहान ख़त्म होने तक एचआरडी की टीम रुके
- उन्हें डर है कि वो बाहर निकलेंगे तो स्थानीय लोग उन्हें पीटेंगे।

हालांकि स्थानीय छात्रों का कहना है कि कक्षाएं चल रही हैं और माहौल सामान्य हो रहा है। एक पीएचडी के छात्र का कहना है, "अंदर सब ठीक है, कुछ छात्र पढ़ना चाहते हैं उन्हें भी पढ़ने नहीं दिया जा रहा ज़बरन क्लासेज़ बर्खास्त की जा रही हैं।"

 

मगर कैंपस में तनाव है। कैंपस के 2300 छात्रों में से 1500 बाहर के हैं जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि ये सब कैंपस छोड़ना चाहते हैं। संस्थान का कहना है कि ऐसे छात्र अपने मां-पिता के नाम और नंबर दें। स्थानीय प्रशासन ने यहां नेताओं के आने पर रोक लगा दी है। राज्य के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा, '15 दिन में छात्रों की पिटाई के मामले की जांच होगी।'

11 अप्रैल से इम्तिहान हैं। छात्रों का कहना है कि उनकी तैयारी बिल्कुल नहीं है। वो संस्थान को श्रीनगर से बाहर तक ले जाने की बात कर रहे थे। ये आपसी अविश्वसास का माहौल ख़त्म करने की ज़रूरत है।

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श्रीनगर के NIT कैम्पस में जो कुछ हो रहा है उसके लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों जिम्‍मेदार हैं। अब सवाल उठाया जा रहा है कि सीआरपीएफ को यहां तैनात क्यूं किया गया जबकि जम्मू कश्मीर पुलिस सालों से आतंकवाद जैसे गहन मसलों पर लड़ती आ रही है। यही नहीं उनके राष्ट्रवाद तक पर सवाल उठ रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि ये महौल जल्द बदलेगा और अमन दोबारा इस कैम्पस में लौटेगा।