
सागर:
निर्मल बाबा की मुश्किलें उस समय और बढ़ गईं, जब सागर जिले की बीना की एक अदालत ने सोमवार को निर्मल बाबा को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने संबंधी उनके आवेदन को खारिज करते हुए उन्हें आगामी 17 जुलाई को अदालत में पेश होने के आदेश दिए।
बीना के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी आरके देवलिया की अदालत में निर्मल बाबा की ओर से उनके वकील ने अदालत में पेश होकर निर्मल बाबा को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से अनुपस्थित रहने का आवेदन दायर किया, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए निर्मल बाबा को 17 जुलाई को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
देवलिया ने गत एक जून को बीना निवासी सुरेन्द्र विश्वकर्मा के परिवाद पत्र पर निर्मल बाबा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें 25 जून को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये थे। इससे पहले अदालत को पुलिस द्वारा बताया गया कि अदालत के आदेश के बाद सागर पुलिस का एक दल नयी दिल्ली स्थित नेहरु प्लेस गया था लेकिन वहां बाबा के नहीं मिलने के कारण सम्मन तामील नहीं हो पाया था।
इस अदालत के एक जून के आदेश के खिलाफ निर्मल बाबा की ओर खुरई के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी भी लगायी गयी थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि बीना निवासी विश्वकर्मा ने अपने परिवाद पत्र में आरोप लगाया था कि उसने बाबा के निर्देश पर काले पर्स में दो हजार रुपये रखे लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति तो सुधरी नहीं बल्कि दो हजार रुपये सहित वह पर्स ही गुम हो गया। इसी प्रकार उसने पिताजी की तबियत ठीक करने के लिये बाबा के निर्देशानुसार पिताजी को खीर खिलायी लेकिन डायबिटीज के चलते उसके पिता की तबियत और खराब हो गई।
बीना के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी आरके देवलिया की अदालत में निर्मल बाबा की ओर से उनके वकील ने अदालत में पेश होकर निर्मल बाबा को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से अनुपस्थित रहने का आवेदन दायर किया, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए निर्मल बाबा को 17 जुलाई को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
देवलिया ने गत एक जून को बीना निवासी सुरेन्द्र विश्वकर्मा के परिवाद पत्र पर निर्मल बाबा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें 25 जून को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये थे। इससे पहले अदालत को पुलिस द्वारा बताया गया कि अदालत के आदेश के बाद सागर पुलिस का एक दल नयी दिल्ली स्थित नेहरु प्लेस गया था लेकिन वहां बाबा के नहीं मिलने के कारण सम्मन तामील नहीं हो पाया था।
इस अदालत के एक जून के आदेश के खिलाफ निर्मल बाबा की ओर खुरई के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी भी लगायी गयी थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि बीना निवासी विश्वकर्मा ने अपने परिवाद पत्र में आरोप लगाया था कि उसने बाबा के निर्देश पर काले पर्स में दो हजार रुपये रखे लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति तो सुधरी नहीं बल्कि दो हजार रुपये सहित वह पर्स ही गुम हो गया। इसी प्रकार उसने पिताजी की तबियत ठीक करने के लिये बाबा के निर्देशानुसार पिताजी को खीर खिलायी लेकिन डायबिटीज के चलते उसके पिता की तबियत और खराब हो गई।
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