
निर्भया केस (Nirbhaya Case) में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार की दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अर्जी ठुकरा दी है. कोर्ट ने निचली कोर्ट का आदेश रद्द करने से इनकार किया है. कोर्टरूम में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने कहा, ''हम पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं. हमें ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि दोषियों ने मामले को लंबा खींचा. अपील और पुनर्विचार याचिका दाखिल करने में भी देरी की. दोषी लगातार जीने के अधिकार का हवाला देकर बचते रहने की कोशिश करते रहे.''
निर्भया केस : चारों दोषियों की फांसी टलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित
जज ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि निर्भया के साथ दोषियों ने जो कुछ किया, वो बेहद अमानवीय था. हाईकोर्ट ने कहा, दोषी एक हफ्ते में अपने सारे उपाय पूरे करें. दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी और संबंधित विभाग के कार्रवाई से नाखुशी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि जब मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट दोषियों की याचिका को खारिज करता है तो कोई भी संबंधी विभाग ने डेथ वारंट जारी कराने की कोशिश नहीं की, जिसका फायदा दोषियों ने बखूबी उठाया.
बता दें, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने शनिवार और रविवार को विशेष सुनवाई के बाद दो फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके जरिए मामले में चार दोषियों की फांसी पर "अगले आदेश तक" रोक लगा दी गई थी.
निर्भया केस: राष्ट्रपति ने खारिज की दोषी विनय शर्मा की दया याचिका, मुकेश की पहले हो चुकी है रद्द
ये चार दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) तिहाड़ जेल में कैद हैं. इससे पहले दिन में, निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से केंद्र की उस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी गयी है. निर्भया के माता-पिता की ओर से पेश वकील जितेंद्र झा ने बताया कि उन्होंने सरकार की याचिका के जल्द निपटारे के लिए अदालत से अनुरोध किया था.
कोर्ट ने 31 जनवरी को फांसी की सजा स्थगित कर दी क्योंकि दोषियों के वकील ने अदालत से फांसी पर अमल को "अनिश्चित काल" के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं. मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास खारिज हो चुकी है जबकि पवन ने यह याचिका अभी नहीं दाखिल की है. अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है. शीर्ष न्यायालय ने 2017 के अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
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