ऐलान के सालभर बाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग – 24 पर ट्रैफिक खस्ताहाल है
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक एक साल पहले एनएच-24 के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का ऐलान किया था और कहा था कि ये विकास का राजमार्ग होगा लेकिन इस ऐलान के सालभर बाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग – 24 पर ट्रैफिक खस्ताहाल है और निर्माण शुरू नहीं हुआ है. इस हाइवे को चौड़ा करने और मल्टीलेन बनाने के लिए सरकार ने जो समय सीमा तय की है वह पूरी होती नहीं दिखती बल्कि एनडीटीवी इंडिया के सवालों के जो जवाब नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने भेजे हैं उससे पता चलता है कि ये प्रोजेक्ट अदालती पचड़े में फंस गया है.
सरकार ने जो योजना बनाई उसके मुताबिक एनएच -24 को दिल्ली से यूपी के डासना तक 14 लेन (28 किलोमीटर लंबा) और उसके आगे हापुड़ तक 6 लेन हाइवे में तब्दील किया जाना है. इसके लिए एनएचएआई ने काम को चार हिस्सों में बांटा.
पहला हिस्सा दिल्ली के निज़ामुद्दीन पुल से यूपी बॉर्डर तक जो 8.36 किमी का है. दूसरा यूपी बॉर्डर से डासना तक का 19.36 किमी तक का हिस्सा. तीसरा हिस्सा है डासना से हापुड़ तक जिसमें 21.606 किमी तक. चौथा हिस्सा डासना को मेरठ से जोड़ने का है करीब 32 किलोमीटर का लेकिन एनएच 24 जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने तरक्की का राजपथ कहकर किया वो अभी कागज़ों में चल रहा है.
एनडीटीवी इंडिया के सवालों के जवाब में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने माना है कि यूपी बॉर्डर से लेकर डासना तक के सबसे कन्जस्टेड हिस्से का तो ठेका देने का काम भी अभी नहीं हुआ है. अपने जवाब में अथॉरिटी ने कहा है कि एक कंपनी इस मामले में दिल्ली हाइकोर्ट चली गई है और ये मामला अब अदालत में है.
अथॉरिटी ने ये भी कहा कि निज़ामुद्दीन पुल से लेकर यूपी बॉर्डर तक के पहले चरण का काम पिछले महीने 28 नवंबर को ही शुरु हुआ यानी एक महीने पहले औऱ अभी इस हिस्से का दो प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है. अथॉरिटी ने जवाब में कहा कि अगले महीने से ही काम की रफ्तार तेज़ होगी. अथॉरिटी के मुताबिक तीसरे चरण यानी डासना से लेकर हापुड़ तक हाइवे का काम महज़ दस दिन पहले 19 दिसंबर इसी महीने शुरु हुआ है.
आलोक कुमार जैसे आरटीआई कार्यकर्ता कहते हैं कि इस मामले में सरकार का ध्यान खींचने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया में आवाज़ उठाने से लेकर पीएम कार्यालय को चिट्ठी लिखने तक काम किया. आलोक कुमार ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, “एनएच -24 के दोनों ओर बने अपार्टमेंट और उनमें रह रहे लोगों का ही हिसाब करें तो 4 से 6 लाख लोग इस हाइवे का हर रोज़ इस्तेमाल करते हैं.
हमने जो खोजबीन की उससे पता चला कि इस प्रोजक्ट में कई दिक्कतें थी और अब भी दिक्कतें हैं. हमें हैरानी है कि प्रधानमंत्री ने इस प्रोजक्ट का उद्घाटन कैसे कर दिया. हमने इस मामले में प्रधानमंत्री को लिखने के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी आवाज़ उठाई लेकिन कुछ नहीं हुआ है.”
इस मुद्दे पर एनएचएआई का कहना है कि झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों के पुनर्वास का मामला सुलझा लिया गया है और 62 करोड़ रुपये अथॉरिटी ने दिल्ली स्लम अर्बन इम्प्रूवमेंट बोर्ड में जमा करा दिया है. अथॉरिटी को उम्मीद है कि काम 910 दिनों की तय मियाद में पूरा होगा लेकिन सवाल ये है कि जब आधी सड़क पर अभी तक ठेके देने का काम ही पूरा नहीं हुआ और मामला अदालत में फंसा है तो इस दावे पर कैसे यकीन किया जाए.
सरकार ने जो योजना बनाई उसके मुताबिक एनएच -24 को दिल्ली से यूपी के डासना तक 14 लेन (28 किलोमीटर लंबा) और उसके आगे हापुड़ तक 6 लेन हाइवे में तब्दील किया जाना है. इसके लिए एनएचएआई ने काम को चार हिस्सों में बांटा.
पहला हिस्सा दिल्ली के निज़ामुद्दीन पुल से यूपी बॉर्डर तक जो 8.36 किमी का है. दूसरा यूपी बॉर्डर से डासना तक का 19.36 किमी तक का हिस्सा. तीसरा हिस्सा है डासना से हापुड़ तक जिसमें 21.606 किमी तक. चौथा हिस्सा डासना को मेरठ से जोड़ने का है करीब 32 किलोमीटर का लेकिन एनएच 24 जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने तरक्की का राजपथ कहकर किया वो अभी कागज़ों में चल रहा है.
एनडीटीवी इंडिया के सवालों के जवाब में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने माना है कि यूपी बॉर्डर से लेकर डासना तक के सबसे कन्जस्टेड हिस्से का तो ठेका देने का काम भी अभी नहीं हुआ है. अपने जवाब में अथॉरिटी ने कहा है कि एक कंपनी इस मामले में दिल्ली हाइकोर्ट चली गई है और ये मामला अब अदालत में है.
(एनडीटीवी इंडिया के सवालों के जवाब में NHAI ने ये जवाब दिया)
अथॉरिटी ने ये भी कहा कि निज़ामुद्दीन पुल से लेकर यूपी बॉर्डर तक के पहले चरण का काम पिछले महीने 28 नवंबर को ही शुरु हुआ यानी एक महीने पहले औऱ अभी इस हिस्से का दो प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है. अथॉरिटी ने जवाब में कहा कि अगले महीने से ही काम की रफ्तार तेज़ होगी. अथॉरिटी के मुताबिक तीसरे चरण यानी डासना से लेकर हापुड़ तक हाइवे का काम महज़ दस दिन पहले 19 दिसंबर इसी महीने शुरु हुआ है.
आलोक कुमार जैसे आरटीआई कार्यकर्ता कहते हैं कि इस मामले में सरकार का ध्यान खींचने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया में आवाज़ उठाने से लेकर पीएम कार्यालय को चिट्ठी लिखने तक काम किया. आलोक कुमार ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, “एनएच -24 के दोनों ओर बने अपार्टमेंट और उनमें रह रहे लोगों का ही हिसाब करें तो 4 से 6 लाख लोग इस हाइवे का हर रोज़ इस्तेमाल करते हैं.
हमने जो खोजबीन की उससे पता चला कि इस प्रोजक्ट में कई दिक्कतें थी और अब भी दिक्कतें हैं. हमें हैरानी है कि प्रधानमंत्री ने इस प्रोजक्ट का उद्घाटन कैसे कर दिया. हमने इस मामले में प्रधानमंत्री को लिखने के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी आवाज़ उठाई लेकिन कुछ नहीं हुआ है.”
इस मुद्दे पर एनएचएआई का कहना है कि झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों के पुनर्वास का मामला सुलझा लिया गया है और 62 करोड़ रुपये अथॉरिटी ने दिल्ली स्लम अर्बन इम्प्रूवमेंट बोर्ड में जमा करा दिया है. अथॉरिटी को उम्मीद है कि काम 910 दिनों की तय मियाद में पूरा होगा लेकिन सवाल ये है कि जब आधी सड़क पर अभी तक ठेके देने का काम ही पूरा नहीं हुआ और मामला अदालत में फंसा है तो इस दावे पर कैसे यकीन किया जाए.
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