प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सरकार के नोटबंदी के एलान के बाद 9 नवंबर से लेकर 2 दिसंबर तक देशभर के टोल नाकों पर टोल वसूली नहीं हुई थी जिसके कारण निजी टोल ऑपरेटरों को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ा. अब एनएचएआई ने नुकसान भरपाई के तौर पर प्राइवेट टोल ऑपरेटरों को 922 करोड़ के भुगतान का फ़ैसला लिया है.
नोटबंदी के बाद 22 दिन टोल नाकों पर गाड़ियां बिना टोल दिए निकलती रहीं. ये प्रस्ताव अभी कैबिनेट की आर्थिक कमेटी के पास भेजा गया है. एनएचएआई को डर है कि अगर उन्होने नुकसान की भरपाई नहीं की तो टोल संचालक उनके खिलाफ़ कोर्ट भी जा सकते हैं क्योंकि एनएचएआई और टोल संचालकों के कॉन्ट्रैक्ट की एक शर्त है कि अगर सरकारी फैसले से अगर इन टोल संचालकों को नुकसान होगा तो उसकी भरपाई एनएचएआई को करनी होगी. लेकिन इस फैसले के बाद टोल संचालकों को नुकसान नहीं होगा.
इस नुकसान का हिसाब एनएचएआई ने टोल नाकों पर अक्टूबर की औसत वसूली के मुताबिक लगाया है. ये भुगतान कुल 317 निजी टोल संचालकों को किया जाएगा. असल में नुकसान लगभग 1200 करोड़ का हुआ लेकिन एनएचएआई पीपीपी मॉडल के तहत 922 करोड़ का ही भुगतान करेगा.
नोटबंदी के बाद 22 दिन टोल नाकों पर गाड़ियां बिना टोल दिए निकलती रहीं. ये प्रस्ताव अभी कैबिनेट की आर्थिक कमेटी के पास भेजा गया है. एनएचएआई को डर है कि अगर उन्होने नुकसान की भरपाई नहीं की तो टोल संचालक उनके खिलाफ़ कोर्ट भी जा सकते हैं क्योंकि एनएचएआई और टोल संचालकों के कॉन्ट्रैक्ट की एक शर्त है कि अगर सरकारी फैसले से अगर इन टोल संचालकों को नुकसान होगा तो उसकी भरपाई एनएचएआई को करनी होगी. लेकिन इस फैसले के बाद टोल संचालकों को नुकसान नहीं होगा.
इस नुकसान का हिसाब एनएचएआई ने टोल नाकों पर अक्टूबर की औसत वसूली के मुताबिक लगाया है. ये भुगतान कुल 317 निजी टोल संचालकों को किया जाएगा. असल में नुकसान लगभग 1200 करोड़ का हुआ लेकिन एनएचएआई पीपीपी मॉडल के तहत 922 करोड़ का ही भुगतान करेगा.
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