पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने के सुझाव पर चर्चा जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में हो सकती है. यह बैठक मई में बुलाई जाएगी. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक 5 राज्यों में जारी चुनावी प्रक्रिया के खत्म होने और वहां मई में नए सरकारों के गठन के बाद बुलाई जाएगी. सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय चाहता है कि 5 राज्यों में गठित होने वाली नयी सरकारें भी इस सुझाव पर अपनी राय तय करें. मंत्रालय सभी राज्यों की सुझाव पर राय को लेकर ही इस पर आगे बढ़ना चाहता है. दरअसल, लोकसभा में फाइनेंस बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था की उन्हें ख़ुशी होगी अगर अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने के प्रस्ताव पर चर्चा होती है. उसके बाद से ही इस प्रस्ताव पर देशभर में बहस छिड़ गयी है.
राज्यसभा में बोले सुशील मोदी : अगले 8-10 साल तक पेट्रोल-डीजल को GST में लाना संभव नहीं, क्योंकि...
बुधवार को देश में पेट्रोल की कीमतों को डीरेगुलेट करने में अहम भूमिका निभाने वाले तेल अर्थशास्त्री किरीट पारीख ने एनडीटीवी से कहा था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करना एक बेहतर फैसला होगा. उनके मुताबिक अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाता है तो इससे कीमतें घटाने में मदद मिलेगी और आम लोगों पर पेट्रोल डीजल की बढ़ी हुई कीमतों का बोझ भी कम होगा.
केंद्र ने जीएसटी मुआवजे में कमी की भरपाई के लिए राज्यों को 1.06 लाख करोड़ दिए
हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी राज्य सभा में इस प्रस्ताव का विरोध कर चुके हैं. सदन में उन्होंने कहा था कि अगले आठ से 10 साल तक पेट्रोल व डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना संभव नहीं है क्योंकि इससे राज्यों को दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा. ज़ाहिर है, इस संवेदनशील मसले पर राज्यों के बीच आम राय बनाना वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
Video : GST के दायरे में आएगा पेट्रोल-डीजल? GST काउंसिल की बैठक में हो सकती है बात
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