
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को कृषि कानूनों (Farm laws)और कोरोना महामारी (Corona Pandemic)के मुद्दे पर अपनी बात साफगाई से रखी और इस मुद्दे पर विपक्ष खासकर कांग्रेस पर निशाना साधा. विपक्ष की ओर से पैदा किए गए व्यवधान के बीच पीएम ने कहा कि कोरोना काल मे सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था की बेहतरीन के लिए कमद उठाए हैं और इन कदमों से देश का विकास दो डिजिट का होने वाला है. कृषि कानूनों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कृषि कानूनों को 'ब्लैक लॉ' बताते हुए इसके कलर पर तो चर्चा की लेकिन इसके कंटेंट पर चर्चा करते तो अच्छा होता. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के मामले में आंदोलन कर रहे सभी किसान की भावनाओं का सदन आदर करता है, इसीलिए सरकार लगातार आदर भाव के साथ बात कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों की शंकाएं पर चर्चा कर रहे हैं, कुछ कमी है तो हम इसे बदलने को तैयार हैं.
पीएम ने कहा कि विविधता के बावजूद हम एक राष्ट्र हैं. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी का अभिभाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है. विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, उन्होंंने कहा कि राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है. मैं इस चर्चा में भाग लेने वाले सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं. मैं विशेष रूप से हमारी महिला सांसदों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं.
पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा. लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा. विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग ये कहते थे कि India was a miracle democracy. ये भ्रम भी हमने तोड़ा है. लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है. उन्होंने कहा, 'आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद जी की बात का स्मरण करना चाहूंगा. "हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे हासिल करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है."जिन संस्कारों को लेकर हम पले-बढ़े हैं, वो हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया. कोरोना कालखंड में भारत ने ये करके दिखाया है.
कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, 'कोरोना (Corona Pandemic) के कारण कितनी बड़ी मुसीबत आएगी इसके जो अनुमान लगाए गए थे तो दुनिया में हर कोई यही सोच रहा था कि भारत इस स्थिति से कैसे निपटेगा? ऐसे में 130 करोड़ देशवासियों के अनुशासन और समर्पण ने हमें आज बचाकर रखा है.कोरोना के बाद भारत के लिए भय का वातावरण बनाया गया था. भारत कैसे टिक पाएगा, अगर भारत में एक बार हालत खराब हो गई तो विश्व को कोई नहीं बचा पाएगा, ऐसे भी कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.' उन्होंने कहा कि ये 130 करोड़ देशवासियों के समर्पण से ही हुआ है. हम कोरोना से जीत पाए, क्योंकि डॉक्टर्स, सफाई कर्मचारी, एम्बुलेंस का ड्राइवर ये सब भगवान के रूप में आए. हम उनकी जितनी प्रशंसा करें, जितना गौरवगान करेंगे, उससे हमारे भीतर भी नई आशा पैदा होगी.'पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना कालखंड में जनधन खाते, आधार, ये सभी गरीब के काम आए. लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे में गए थे? इस कालखंड (कोरोना के काल के दौरान) में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा है. हम इस इरादे से चले है कि भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हमें नए कदम उठाने होंगे हमने पहले दिन से ही कई कदम उठाए हैं.पीएम के संबोधन के दौरान जब विपक्ष ने होहल्ला मचाते हुए नारेबाजी की तो पीएम ने कहा कि यह होहल्ला इसके लिए हो रहा कि जो झूठ फैलाया गया है, उसका पर्दाफाश न हो जाए. उन्होंने कहा कि अगर हो हल्ला न हुआ तो सही बात लोगों तक पहुंच जाएगी.
किसान कानून के मसले पर पीएम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कृषि कानूनों को 'ब्लैक लॉ' बताते हुए इसके कलर पर तो चर्चा की लेकिन इसके कंटेंट पर चर्चा करते तो अच्छा होता. उन्होंने जोर देकर कहा कि कानून लागू होने के बाद न कही मंडी बंद हुई है और न कही MSP बंद हुई है. कोरोना काल में सरकार की ओर से उठाए गए कदम से देश का विकास दो डिजिट का होने वाला है. कांग्रेस ने कृषि कानूनों के 'कलर' पर चर्चा की लेकिन यदि वे 'कंटेंट' पर भी चर्चा करते तो अच्छा होता. प्रधानमंत्री ने कहा कि आंदोलन कर रहे सभी किसान की भावनाओं का सदन आदर करता है, इसीलिए सरकार लगातार आदर भाव के साथ बात कर रही है. लगातार बातचीत होती रही है. किसानों की शंकाएं पर चर्चा कर रहे हैं, कुछ कमी है तो बदलने को तैयार हैं.
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