विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप चिंता का विषय है, लेकिन टीके अब भी सबसे महत्वपूर्ण हथियार हैं क्योंकि ये ‘ओमीक्रोन' के खिलाफ भी प्रभावी हो सकते हैं. पिछले सप्ताह, पहली बार दक्षिण अफ्रीका में सामने आए बी.1.1.529 (ओमीक्रोन) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता बढ़ाने वाले स्वरूपों की श्रेणी में रखा है. सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि ‘ओमीक्रोन' में लगभग 50 उत्परिवर्तन हैं और इनमें से 32 उत्परिवर्तन स्पाइक प्रोटीन में हैं, जिसका उपयोग वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है. उन्होंने कहा कि 10 उत्परिवर्तन काफी ध्यान देने वाले हैं.
महामारी विशेषज्ञ एवं फिजीशियन लहरिया ने कहा, ‘‘इनमें एच655वाई, एन679के और पी681एच उत्परिवर्तन संभावित रूप से प्रसार को बढ़ाते हैं. उत्परिवर्तन आर203के और जी204आर को उच्च संक्रामकता से जुड़ा माना जा रहा है. इसी तरह, एनएसपी6 में विलोपन क्षमता होती है, जिसके परिणामस्वरूप यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकता है.''
प्रतिरक्षा विज्ञानी सत्यजीत रथ ने कहा कि नए स्वरूप के उद्भव से पता चलता है कि ‘‘हमें कोविड महामारी को एक ऐसा अल्पकालिक संकट नहीं मानना चाहिए जिसके लिए अल्पकालिक उपायों की आवश्यकता हो.'' उन्होंने कहा, "हमें सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य में निरंतर, दीर्घकालिक नीतियों और निवेश की आवश्यकता है."
रथ ने कहा कि इस स्वरूप को लेकर वर्तमान टीकों के असर में भले ही थोड़ी कमी दिखे, लेकिन ये निष्प्रभावी बिलुकल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि मौजूदा दवाएं भी नए स्वरूप के खिलाफ अच्छा काम कर सकती हैं. कोलकाता स्थित सीएसआईआर-भारतीय रसायन जीवविज्ञान संस्थान (आईआईसीबी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक उपासना आर ने भी इस पर सहमति व्यक्त की.
उन्होंने कहा, ‘‘इस स्वरूप के खिलाफ सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोविड उपयुक्त स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन और टीकाकरण कराना है. टीके संक्रमण से कम से कम आंशिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं और स्थिति गंभीर होने से बचा सकते हैं.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं