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This Article is From Nov 13, 2020

महाराष्‍ट्र: कोरोना प्रकोप के बीच नया संकट, भुगतान न होने पर चिकित्‍सा सामान मुहैया कराने वाली संस्‍था ने रोकी सप्‍लाई

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) महाराष्ट्र ने भी सरकारी अस्पतालों में ज़रूरी दवाइयों का सप्लाई रुकना गरीब मरीज़ों के लिहाज से चिंताजनक बताया है.

महाराष्‍ट्र: कोरोना प्रकोप के बीच नया संकट, भुगतान न होने पर चिकित्‍सा सामान मुहैया कराने वाली संस्‍था ने रोकी सप्‍लाई
देश में कोरोना संक्रमण के सबसे ज्‍यादा केस महाराष्‍ट्र से ही सामने आए हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

Corona Pandemic: कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र नई चुनौती का सामना कर रहा है. देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या महाराष्‍ट्र में सर्वाधिक है. इस दौर में राज्य में नया संकट पैदा हुआ है. अस्पतालों में ज़रूरी चिकित्सा सामान जैसे- दवा, PPE, मास्क मुहैया कराने वाले क़रीब 100 सप्लायरों वाली राज्य की बड़ी संस्था ‘ऑल इंडिया फूड एंड ड्रग्स लाइसेंस होल्डर्स फाउंडेशन' ने अपनी सप्लाई पर रोक लगा दी है. वे आरोप लगा रहे हैं कि बकाया राशि 200 करोड़ रुपये से भी अधिक है और भुगतान के बिना, वे सप्लाई करने में असमर्थ हैं. दवा, मास्क, ग्लव्ज़, PPE, सर्जिकल उपकरण जैसे बेहद ज़रूरी चिकित्सा सामान, सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को मुहैया कराने वाले 100 से ज़्यादा सप्लायरों ने सप्लाई रोक दी है.

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ऑल इंडिया फूड एंड ड्रग्स लाइसेंस होल्डर्स फाउंडेशन के सदस्यों का आरोप है कि महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में दवाओं, चिकित्सा आपूर्ति और उपकरणों की खरीद का प्रबंधन करने वाले हैफ़्कीन इंस्टीट्यूट ने सप्लाइअर्ज़ को पैसे नहीं दिए हैं. पूरे महाराष्ट्र में लगभग 100 सप्लाइअर्ज़ का प्रतिनिधित्व करने वाले फाउंडेशन का दावा है कि राज्य को जनवरी से जून तक के लिए 220 करोड़ रुपये का भुगतान करना है. फाउंडेशन के सदस्यों ने पहले भूख हड़ताल पर बैठने की योजना बनाई थी लेकिन अनुमति नहीं मिलने के बाद उन्होंने आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है.

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ऑल इंडिया फूड एंड ड्रग्स लाइसेंस होल्डर्स फाउंडेशन के अध्‍यक्ष अभय पांडे कहते हैं, 'हमारी संस्था महाराष्ट्र सरकार के सभी अस्पतालों में दवाएं सप्लाई करती है. हैफकीन संस्था को महाराष्ट्र सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों के लिए दवा ख़रीदी का काम करने का ज़िम्मा दिया है. हैफ़कीन पर क़रीब 220 करोड़ रुपए हमारे आउट्स्टैंडिंग हैं, हमने बार-बार पैसे की माँग की है. हमें कोई पैसा नहीं मिला है जिसकी वजह से हमारी जो स्मॉल स्केल यूनिट्स हैं उनकोचलाना हमारे लिए मुश्किल हो गया है. लोगों की सैलरी देना मुश्किल है. टेंडर अग्रीमेंट और पैसे की भुगतान की मांग की अर्ज़ियों की कॉपी भी  सप्लायर्स ने सामने रखी हैं. वे कहते हैं कि कोरोना में जोखिम उठाकर ज़रूरी सामान सरकार को मुहैया कराए लेकिन अब हमारी दीवाली काली हो गई. 

मॉडर्न लैब्रॉटॉरी इंदौर के मैनेजिंग पार्ट्नर अनिल करिया कहते हैं, 'दीवाली है, और हमें इस दौरान बहुत खर्च करने पड़ते हैं, वर्कर और स्टाफ़ को बोनस गिफ़्ट्स, सैलरी साथ देनी पड़ती है, साथ ही हमारे क्रेडिटर्ज़ भी पैसे माँग रहे हैं.''इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) महाराष्ट्र ने भी सरकारी अस्पतालों में ज़रूरी दवाइयों का सप्लाई रुकना गरीब मरीज़ों के लिहाज से चिंताजनक बताया है. IMA महाराष्ट्र के अध्‍यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे कहते हैं, 'इससे काफ़ी नुक़सान होने वाला है. गरीब मरीज़ों का बड़ा नुक़सान होगा क्‍योंकि जब इलाज के लिए ये सरकारी हॉस्पिटल में जाते हैं तो यही दवाएं इनके काम आती हैं. डॉक्‍टर तो मरीज़ों को देख ही रहे हैं लेकिन हॉस्पिटल में दवा नहीं हुई तो तब मरीज़ के परिजनों को बाहर से ख़रीदना होगा जो उन पर भारी पड़ेगा. ऐसेहालात में मरीज़ की जान भी मुश्किल में पड़ सकती है. बड़ी संख्या में मेडिकल सप्लाइअर्ज़ का यूँ सप्लाई रोकना, राज्य के क़रीब 218 सरकारी अस्पताल, सेंटर्स और मेडिकल कॉलेजों को प्रभावित कर सकता है.

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