यह ख़बर 21 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

जजों की नियुक्ति से जुड़े नए बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सोमवार को होगी सुनवाई

नई दिल्ली:

जजों की नियुक्ति का सिस्टम बदलने से जुड़े बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी। हाल ही में संसद ने न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल को पास किया है। इस बिल के प्रभावी होने से जजों की नियुक्ति के लिए पुराना कॉलेजियम सिस्टम खत्म हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है। जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि यह बिल संविधान के मूल स्वरूप के खिलाफ है।

याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने आग्रह किया कि उनके मामले पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए, जिस पर मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामला सोमवार को सुनवाई के लिए आ रहा है। ये याचिकाएं पूर्व अतिरक्ति सॉलिसिटर जनरल बिश्वजीत भट्टाचार्य, अधिवक्ताओं - आरके कपूर और मनोहर लाल शर्मा तथा सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड की ओर से दायर की गई हैं।

अधिवक्ताओं ने कहा कि संसद में 121वां संविधान संशोधन विधेयक और एनजेएसी विधेयक 2014 असंवैधानिक हैं, क्योंकि वे संविधान के आधारभूत ढांचे का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान अनुच्छेद 50 के तहत न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करते हुए एक स्पष्ट सीमांकन को मान्यता देता है, जो स्वस्थ न्यायिक प्रणाली के लिए अंतर्निहित शक्ति है।

कपूर ने कहा, यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि संविधान के तहत डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी का अनुच्छेद 50 न सिर्फ निचली अदालतों पर लागू है, बल्कि शक्ति पृथक्ककरण सिद्धांत के रूप में उच्च अदालतों पर भी लागू है तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की आधारभूत स्थिर विशष्टिता है।

भट्टाचार्य ने तर्क दिया कि संविधान उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की प्रत्येक नियुक्ति में और एक उच्च न्यायालय से दूसरे में न्यायाधीशों के स्थानांतरण में प्रधान न्यायाधीश को फैसला लेने की शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने कहा, यह शक्ति अब एनजेएसी को स्थानांतरित की जा रही है और उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ प्रधान न्यायाधीश को कार्यपालिका द्वारा वीटो किए जाने की संभावना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्ति पृथक्ककरण के सिद्धांत...भारतीय संविधान की इन दोनों आधारभूत विशिष्टताओं के लिए घातक होगी।

राज्यसभा ने 14 अगस्त को 121वें संविधान संशोधन विधेयक और एनजेएसी विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इससे एक दिन पहले लोकसभा ने भी इन्हें मंजूरी प्रदान कर दी थी। लोकसभा ने विधेयक को कांग्रेस द्वारा सुझाए गए और सरकार द्वारा स्वीकार किए गए महत्वपूर्ण संशोधन के साथ पारित कर दिया था।

(इनपुट भाषा से भी)


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