70 साल पहले नेताजी का लापता होना अब भी एक रहस्य बना हुआ है
नई दिल्ली:
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथित अस्थियां जापान के रेंकोजी मंदिर में टिन या लकड़ी से बने छोटे बक्से में सुरक्षित रखी हुई हैं. इस स्वतंत्रता सेनानी से जुड़ी सार्वजनिक की गई फाइलों से यह पता चला है.
'नेताजी की अस्थियां और अन्य अवशेष' पर दो मार्च, 2007 के एक आरटीआई अर्जी का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के अवर सचिव अजय चौधरी ने बताया कि यह बक्सा रेंकोजी मंदिर के परिसर में एक आलमारी में रखा हुआ है और जब आंगुतक इसे देखना चाहते हैं तो उसे निकाल कर दो मोमबत्तियों के बीच रख दिया जाता है.
उन्होंने बताया, 'टोक्यो के भारतीय दूतावास से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अस्थियां नौ इंच लंबे और छह इंज चौड़े छोटे बक्से में सुरक्षित रखी हुई हैं और यह बक्सा या तो टीन या लकड़ी का बना हुआ है.'
सरकारी फाइलों में उपलब्ध सूचना के हिसाब से उन्होंने बताया कि रेंकोजी मंदिर के प्रधान पुरोहित ने 23 नवंबर, 1953 को तत्कालीन प्रधानमत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखा था कि वह 18 सितंबर, 1945 से ही नेताजी की इन अस्थियों को संभालकर रखे हुए हैं.
उन्होंने बताया कि यह सहमति भी बनी थी कि जब तक भारत सरकार इस संबंध में कोई निर्णय नहीं कर लेती तब तक नेताजी की कथित अस्थियां रेंकोजी मंदिर में ही रहेंगी. संस्कृति सचिव एनके सिन्हा ने 25 गोपनीय फाइलों का आठवां बैच शुक्रवार को ऑनलाइन जारी किया, जो 1951 से लेकर 2006 तक की अवधि के विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं.
नेताजी पर 100 फाइलों का पहला लॉट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी को सार्वजनिक किया था, जिस दिन सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती थी.
गौरतलब है कि 70 साल पहले नेताजी का लापता होना अब भी एक रहस्य बना हुआ है. दो जांच आयोग ने यह निष्कर्ष दिया था कि 18 अगस्त 1945 को ताईपे में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी, जबकि न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले तीसरे जांच आयोग ने इससे अलग निष्कर्ष दिया और कहा कि बोस इस दुर्घटना में बच गए थे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
'नेताजी की अस्थियां और अन्य अवशेष' पर दो मार्च, 2007 के एक आरटीआई अर्जी का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के अवर सचिव अजय चौधरी ने बताया कि यह बक्सा रेंकोजी मंदिर के परिसर में एक आलमारी में रखा हुआ है और जब आंगुतक इसे देखना चाहते हैं तो उसे निकाल कर दो मोमबत्तियों के बीच रख दिया जाता है.
उन्होंने बताया, 'टोक्यो के भारतीय दूतावास से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अस्थियां नौ इंच लंबे और छह इंज चौड़े छोटे बक्से में सुरक्षित रखी हुई हैं और यह बक्सा या तो टीन या लकड़ी का बना हुआ है.'
सरकारी फाइलों में उपलब्ध सूचना के हिसाब से उन्होंने बताया कि रेंकोजी मंदिर के प्रधान पुरोहित ने 23 नवंबर, 1953 को तत्कालीन प्रधानमत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखा था कि वह 18 सितंबर, 1945 से ही नेताजी की इन अस्थियों को संभालकर रखे हुए हैं.
उन्होंने बताया कि यह सहमति भी बनी थी कि जब तक भारत सरकार इस संबंध में कोई निर्णय नहीं कर लेती तब तक नेताजी की कथित अस्थियां रेंकोजी मंदिर में ही रहेंगी. संस्कृति सचिव एनके सिन्हा ने 25 गोपनीय फाइलों का आठवां बैच शुक्रवार को ऑनलाइन जारी किया, जो 1951 से लेकर 2006 तक की अवधि के विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं.
नेताजी पर 100 फाइलों का पहला लॉट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी को सार्वजनिक किया था, जिस दिन सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती थी.
गौरतलब है कि 70 साल पहले नेताजी का लापता होना अब भी एक रहस्य बना हुआ है. दो जांच आयोग ने यह निष्कर्ष दिया था कि 18 अगस्त 1945 को ताईपे में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी, जबकि न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले तीसरे जांच आयोग ने इससे अलग निष्कर्ष दिया और कहा कि बोस इस दुर्घटना में बच गए थे.
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