नेपाल ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से मापने की भारत की पेशकश खारिज की

2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप के बाद इस सर्वोच्च पर्वत चोटी की ऊंचाई को लेकर वैज्ञानिक समुदाय ने कई संदेह जाहिर किए हैं.

नेपाल ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से मापने की भारत की पेशकश खारिज की

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

नेपाल के सर्वेक्षण विभाग के शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि 2015 के भूकंप के बाद दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से फिर से मापने की भारत की पेशकश नेपाल ने खारिज कर दी है और वह खुद ही यह काम करेगा. हिमालय पर्वतमाला की इस सर्वोच्च पर्वत चोटी की ऊंचाई 8,848 मीटर है. नेपाल के सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक गणेश भट्ट ने बताया कि नेपाल इस काम को पूरा करने के लिए जरूरी आंकड़े हासिल करने के सिलसिले में भारत और चीन से मदद मांगेगा. वहीं, नई दिल्ली में मौजूद सूत्रों ने संकेत दिया कि माऊंट एवरेस्ट को संयुक्त रूप से फिर से मापने के भारत के प्रस्ताव को नेपाल के इनकार करने के पीछे चीन का हाथ हो सकता है, क्योंकि यह चोटी चीन-नेपाल सीमा पर है.

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक बयान के मुताबिक 2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप के बाद इस सर्वोच्च पर्वत चोटी की ऊंचाई को लेकर वैज्ञानिक समुदाय ने कई संदेह जाहिर किए हैं. अप्रैल 2015 में 7.8 की तीव्रता से आए भूकंप ने नेपाल में तबाही मचाई थी, जिसमें 8,000 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि लाखों अन्य बेघर हो गए थे. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाली 250 साल पुरानी संस्था 'सर्वे ऑफ इंडिया' ने माउंट एवरेस्ट को नेपाल के सर्वेक्षण विभाग के साथ 'भारत-नेपाल संयुक्त वैज्ञानिक अभ्यास' के रूप में फिर से मापने का प्रस्ताव किया था.

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भारत के महासर्वेक्षक मेजर जनरल गिरीश कुमार ने बताया, 'उन्होंने हमारे प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया. अब वे कह रहे हैं कि वे भारत या चीन, दोनों में से किसी को भी शामिल नहीं कर रहे हैं. वे खुद ही माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापेंगे.' कुमार ने कहा कि भारत के एक प्रतिनिधि काठमांडू में बुलाई गई एक बैठक में शरीक हुए थे, जहां चीन सहित विभिन्न देशों से सर्वेक्षक और वैज्ञानिक भी मौजूद थे. वहीं, भट्ट ने फोन पर बताया कि एवरेस्ट को मापने में हमारी मदद के लिए भारत से एक प्रस्ताव था लेकिन हम इसे खुद से कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने भी एवरेस्ट की ऊंचाई मापने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने इसका नकारात्मक जवाब दिया. उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि चीन ने 1975 और 2005 में एवरेस्ट की ऊंचाई मापी थी, जबकि भारतीय सर्वेक्षकों ने 1956 में ऐसा ही एक कार्य किया था. भारत के महासर्वेक्षक ने भी ब्रिटिश काल में एवरेस्ट की ऊंचाई मापी थी.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वेबसाइट पर कहा गया है, 'भारत के महासर्वेक्षक सर जॉर्ज एवरेस्ट के नेतृत्व में भारत प्रथम देश था, जिसने 1855 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई घोषित की और इसे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी बताया. भट्ट ने बताया कि परियोजना पर शुरुआती कार्य आरंभ हो चुका है और वे सर्वेक्षण के लिए प्राथमिक डेटा एकत्र कर रहे हैं.'

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भट्ट ने बताया कि भारत से लेवलिंग डेटा जबकि चीन से ग्रेविटी (गुरुत्व) डेटा मुहैया करने का अनुरोध किया गया है. एवरेस्ट की ऊंचाई निर्धारित करने में डेटा की बहुत अहम भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि हम माप के लिए चीनी क्षेत्र में नहीं जाएंगे. एवरेस्ट पर आंकड़े सौंपने का कार्य 2019 में होगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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