बिहार के सीतामढ़ी जिले के चश्मदीद लोगों ने 12 जून को नेपाली सुरक्षा बलों की ओर से बरती गई बर्बरता और अंधाधुंध फायरिंग की कहानी बयां की. नेपाल के सुरक्षाबलों ने 12 जून को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लोगों के एक समूह पर फायरिंग की थी, इसमें एक भारतीय की मौत हो गई थी जबकि दो अन्य जख्मी हुए थे. घटना को याद करते हुए जानकी नगर के निवासी नीतीश कुमार ने बताया, "एक घंटे में 18-20 गोलियां दागी गई थीं और हर कोई हैरान था."
नेपाल की सशस्त्र पुलिस बल (APF) की ओर से लालबांदी-जानकीनगर बॉर्डर पर की गई फायरिंग में तीन लोग- विकास यादव, उमेश राम और उदय ठाकुर- गोली लगने से घायल हुए थे. जख्मी विकास यादव ने बाद में दम तोड़ दिया.
एक अन्य शख्स लगन किशोर उस वक्त बॉर्डर पर था और अपने परिवार के साथ अपनी बहु और उसके परिवार से मिलने के लिए गया था. उन्होंने बताया कि सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के द्वारा उन्हें बॉर्डर के दूसरे तरफ से घसीटकर लाया गया और हिरासत में लिया गया. लगन किशोर की बहू नेपाली नागरिक है. उन्होंने कहा कि नेपाली सुरक्षा बल के जवान ने मुझे अपशब्द कहे और राइफल की बट से मारा. यहां तक कि बेटे के साथ भी दुर्व्यवहार किया और फिर बाद में गोलीबारी की.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, जानकी नगर के कुछ अन्य रहने वालों ने इस घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण और हैरानी भरा" बताया.
नीतीश कुमार इस घटना को याद करते हुए कहते हैं, "एक परिवार अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए यहां आया था, जो कि नेपाली नागरिक हैं. बहू अपने परिवार से बात कर रही थी, जबकि उसके पति और ससुर थोड़ी दूरी पर बैठे थे. अचानक, मैंने देखा कि नेपाली जवान उसके पति से गाली-गलौज करते हैं. इसकी जानकारी वह अपने पिता को देता है. अचानक नेपाली सेना ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया और फिर गोलियां चला दीं उन्होंने पिता को भी हिरासत में ले लिया.”
कुमार ने कहा, "हम सभी हैरान थे. मैंने एक घंटे के दरमियान करीब 18-20 गोलियां चलने की आवाज सुनी."
इस बीच, नेपाल पुलिस ने दावा किया कि लगन किशोर को एपीएफ द्वारा फायरिंग के बाद हिरासत में लिया गया है और 13 जून को नो मैंस लैंड में भारतीय सुरक्षा बलों को सौंप दिया गया था. लगन किशोर को झड़प के दौरान एक जवान से हथियार छिनने की कोशिश में हिरासत में लिया गया था. हालांकि, किशोर और उनके परिवार ने नेपाल पुलिस के इस दावे का खंडन किया है और कहा कि उसे सीमापार से "खींचकर" ले जाया गया था और मारपीट की गई थी.
किशोर ने कहा कि फायरिंग के दौरान वह भागकर भारत की ओर आ गया था लेकिन नेपाली कर्मियों ने उसे राइफल की बट से मारा और उसे नेपाल के संग्रामपुर ले गए. साथ ही उन्हें यह स्वीकार करने के लिए भी कहा गया था कि उन्हें नेपाली पक्ष से हिरासत में लिया गया है.
किशोर ने कहा, "नेपाली जवानों के फायरिंग शुरू करने पर हम भारत लौटने के लिए दौड़े, लेकिन उन्होंने मुझे भारतीय सीमा से घसीटा, राइफल की बट से मारा और मुझे नेपाल के संग्रामपुर ले गए. उन्होंने मुझसे यह कबूल करने को कहा कि मैं नेपाल से वहां लाया गया हूं. मैंने उनसे कहा कि आप मुझे मार सकते हैं लेकिन मुझे भारत से वहां लाया गया था."
किशोर के बेटे ने भी कहा कि नेपाली सशस्त्र बल के जवानों ने उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और उन्हें और उनके पिता को मारा.
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