फ्रांस की एक अदालत द्वारा ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी (Cairn Energy Plc) को 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने के लिए फ्रांस में लगभग 20 भारतीय सरकारी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश की खबर का भारत ने खंडन किया है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि फ्रांसीसी अदालत से न तो इस तरह का कोई आदेश मिला है और न ही कोई नोटिस.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि अगर उसे ऐसा आदेश मिलता है तो वह उचित कानूनी कार्रवाई करेगा. मंत्रालय ने कहा, "सरकार तथ्यों का पता लगाने की कोशिश कर रही है और जब भी ऐसा आदेश प्राप्त होगा, भारत के हितों की रक्षा के लिए अपने वकीलों के परामर्श से उचित कानूनी उपाय किए जाएंगे."
केयर्न के उन संपत्तियों में रहने वाले भारतीय अधिकारियों को बेदखल नहीं करेगी. लेकिन सरकार अदालत के आदेश के बाद उन्हें बेच भी नहीं सकती है. केयर्न ने कहा कि वह अपने शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी.
केयर्न एनर्जी विवाद: फ्रांस की अदालत ने भारत सरकार की 20 संपत्तियों को जब्त करने का दिया आदेश
केयर्न एनर्जी ने एक बयान जारी कर कहा है, "हमारी मजबूत प्राथमिकता इस मामले का हल करने के लिए भारत सरकार के साथ सहमत होकर एक सौहार्दपूर्ण समझौता करने की है, और इसके लिए हमने इस साल फरवरी से प्रस्तावों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत की है. हालांकि, इस तरह की अनुपस्थिति में केयर्न एनर्जी अपने अंतरराष्ट्रीय शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने को स्वतंत्र है."
इधर, सरकार ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय हेग की कार्यवाही में अपने मामले का सख्ती से बचाव करेगी. वित्त मंत्रालय ने कहा, "सरकार ने हेग कोर्ट ऑफ अपील में दिसंबर 2020 के अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत के फैसले को रद्द करने के लिए 22 मार्च को पहले ही एक आवेदन दायर किया है. भारत सरकार हेग में सेट साइड कार्यवाही में अपने मामले का सख्ती से बचाव करेगी."
मंत्रालय ने यह भी कहा कि केयर्न्स के सीईओ और प्रतिनिधियों ने मामले को सुलझाने के लिए चर्चा के लिए भारत सरकार से संपर्क किया था.
बता दें कि एक मध्यस्थता अदालत ने दिसंबर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर से अधिक का ब्याज और जुर्माना चुकाए. भारत सरकार ने इस आदेश को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार की संपत्ति को जब्त करके देय राशि की वसूली के लिए विदेशों में कई न्यायालयों में अपील की थी.
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