मराठवाड़ा में स्मारकों के संरक्षण के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है: विशेषज्ञ

महाराष्ट्र के पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित एक वेबिनार में विशेषज्ञों ने कहा, कि मराठवाड़ा के किलों में बिना ऐतिहासिक अवशेषों से छेड़छाड़ किये संरक्षण कार्य किया जाना चाहिए.

मराठवाड़ा में स्मारकों के संरक्षण के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है: विशेषज्ञ

मराठवाड़ा में स्मारकों के संरक्षण के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है: विशेषज्ञ

औरंगाबाद :

महाराष्ट्र के पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित एक वेबिनार में विशेषज्ञों ने कहा, कि मराठवाड़ा के किलों में बिना ऐतिहासिक अवशेषों से छेड़छाड़ किये संरक्षण कार्य किया जाना चाहिए.  एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, कि 19 नवंबर से 25 नवंबर के बीच ‘विश्व धरोहर सप्ताह' (World Heritage Week) मनाया जा रहा है और इस अवसर पर बुधवार को इस वेबिनार का आयोजन किया गया. इतिहास के प्रोफेसर डॉ सतीश कदम और डॉ माधवी महके ने स्मारकों के संरक्षण और सामाजिक दायित्व तथा मराठवाड़ा क्षेत्र में मंदिरों के विषय पर विचार प्रकट किये.

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डॉ कदम ने कहा, “हालांकि स्मारकों का संरक्षण सरकार का दायित्व है, शिक्षकों को अपने छात्रों को इन इमारतों के महत्व के बारे में बताना चाहिए.” डॉ महके ने कहा कि क्षेत्र में ऐसे मंदिर हैं जिनका निर्माण चौथी और पांचवीं शताब्दी में हुआ था। किले के विषयों के विशेषज्ञ संकेत कुलकर्णी ने कंधार (नांदेड़), औसा (लातूर), परांदा (उस्मानाबाद), अंतूर (औरंगाबाद) और धरुर (बीड) में स्थित किलों के संरक्षण पर अपने विचार रखे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)