ओलंपिक कैनयन से:
फ्लिप सैमुअल ओकली पिछले दो दशकों से गहरे समुद्र में तेल और गैस की खोज करने वाले खास तरह के समुद्री जहाजों पर काम कर रहे हैं। रात का अंधेरा और नीचे विशाल समुद्र ही डर पैदा नहीं करता बल्कि दिन का काम भी खतरे से खाली नहीं है।
करीब 14 दिन पहले बंगाल की खाड़ी में पानी में करीब 1 किमी नीचे उन्होंने जो देखा, उसके लिए न तो ओकली और न ही उनकी टीम का कोई सदस्य तैयार था। समुद्र के नीचे उन्हें एक बार फिर काफी मलबा दिखा, वैसे यह उनके लिए कोई नई बात नहीं थी। 54 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई ओकली ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, अगर समुद्र तल पर आपको हड्डियां दिखाई देती हैं तो आपको लगता है कि वह कोई इंसान है।
पिछले महीने 8 जून को रात के समय सर्विलांस पैट्रोल पर निकला भारतीय कोस्ट गार्ड का एक डोर्नियार विमान अचानक त्रिची के रडार से गायब हो गया। इसमें दो पायलट और एक नैवीगेटर सवार थे। काफी दिनों की खोजबीन के बाद भी डोर्नियर का कोई पता नहीं चला। आखिरकार कोस्ट गार्ड ने 13 जून को ओलंपिक कैनयन से मदद मांगी, जो कृष्णा-गोदावरी बेसिन में रिलायंस इंडस्ट्रीज-बीपी ऑयल और गैस फील्ड के लिए काम करता है।
करीब एक महीने बाद 10 जुलाई को सुबह 9.24 बजे ओलंपिक कैनयन के क्रू सदस्य एक और सर्च अभियान की तैयारी में जुटे थे, तभी उन्हें कुछ दिखा। इसके ठीक 21 मिनट बाद उनके सामने लापता डोर्नियर का डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर था और इसी के साथ भारतीय कोस्ट गार्ड के लापता विमान की खोज का दुखद अंत हुआ।
ओकली ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'यह हमारे लिए भी डरावना अनुभव था। हम जानते थे कि हमें क्या मिल सकता है और इसी से चिंतित थे। लेकिन इस अभियान से जुड़ने की हमें खुशी है।' यह अभियान भारतीय समुद्र में अपनी तरह का एक बड़ा अभियान था। रोवर्स को बार-बार करीब एक किमी की गहराई में भेजा गया।
करीब 14 दिन पहले बंगाल की खाड़ी में पानी में करीब 1 किमी नीचे उन्होंने जो देखा, उसके लिए न तो ओकली और न ही उनकी टीम का कोई सदस्य तैयार था। समुद्र के नीचे उन्हें एक बार फिर काफी मलबा दिखा, वैसे यह उनके लिए कोई नई बात नहीं थी। 54 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई ओकली ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, अगर समुद्र तल पर आपको हड्डियां दिखाई देती हैं तो आपको लगता है कि वह कोई इंसान है।
पिछले महीने 8 जून को रात के समय सर्विलांस पैट्रोल पर निकला भारतीय कोस्ट गार्ड का एक डोर्नियार विमान अचानक त्रिची के रडार से गायब हो गया। इसमें दो पायलट और एक नैवीगेटर सवार थे। काफी दिनों की खोजबीन के बाद भी डोर्नियर का कोई पता नहीं चला। आखिरकार कोस्ट गार्ड ने 13 जून को ओलंपिक कैनयन से मदद मांगी, जो कृष्णा-गोदावरी बेसिन में रिलायंस इंडस्ट्रीज-बीपी ऑयल और गैस फील्ड के लिए काम करता है।
करीब एक महीने बाद 10 जुलाई को सुबह 9.24 बजे ओलंपिक कैनयन के क्रू सदस्य एक और सर्च अभियान की तैयारी में जुटे थे, तभी उन्हें कुछ दिखा। इसके ठीक 21 मिनट बाद उनके सामने लापता डोर्नियर का डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर था और इसी के साथ भारतीय कोस्ट गार्ड के लापता विमान की खोज का दुखद अंत हुआ।
ओकली ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'यह हमारे लिए भी डरावना अनुभव था। हम जानते थे कि हमें क्या मिल सकता है और इसी से चिंतित थे। लेकिन इस अभियान से जुड़ने की हमें खुशी है।' यह अभियान भारतीय समुद्र में अपनी तरह का एक बड़ा अभियान था। रोवर्स को बार-बार करीब एक किमी की गहराई में भेजा गया।
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