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This Article is From Feb 18, 2019

NDTV की CJI रंजन गोगोई से एक्सक्लूसिव बातचीत: पक्ष में फैसला न आने पर जजों को बनाया जाता है निशाना

एनडीटीवी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान उन्होंने न्यायपालिका के कई मुद्दों पर चर्चा की.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने कहा कि जजों के फैसलों की आलोचना एक नया ट्रेंड बन गया है, यह परेशानी वाली बात है. उन्होंने कहा कि जजों पर कीचड़ उछलना आम बात हो गई है, फैसला पक्ष में न आने पर जजों को निशाना बनाया जाता है. एनडीटीवी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान उन्होंने न्यायपालिका के कई मुद्दों पर चर्चा की. सीजेआई ने पहली बार कॉलेजियम की सिफारिशों को बदलने पर हुए विवाद पर भी बातचीत की. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम के फैसले को सरकार को भेजे जाने से पहले बदला जाना कोई असामान्य बात नहीं है. अगर सरकार को भेजे जाने से पहले फैसले को बदला जाता है तो इसके पीछे कारण होते हैं.

कीचड़ उछालने की वजह से युवा नहीं बन रहे जज
सीजेआई ने कहा कि आप फैसलों की आलोचना करते हैं. कानूनी खामियों की ओर इशारा करते हैं. लेकिन जजों पर हमला करना और अपने मकसद के लिए उन्हें निशाना बनाना परेशानी वाली बात है. पक्ष में फैसला न आने पर जजों को निशाना बनाया जाता है. जजों पर कीचड उछालने की वजह से युवा न्यायपालिका में नहीं आ रहे हैं, वो कहते हैं कि हम अच्छी कमाई कर रहे हैं. हमें जज क्यों बनना चाहिए, ताकि लोग कीचड़ उछाले? अगर आप जजों पर कीचड़ उछालते रहेंगे तो अच्छे लोग नहीं आएंगे. कुछ युवा जज पश्चाताप कर रहे हैं कि उन्होंने इस पेशे को क्यों चुना?

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कॉलेजियम के फैसले को बदलना असामान्य बात नहीं
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले पर विवाद पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि जब हम कॉलेजियम के फैसले को सरकार के पास भेजते हैं तभी हमारा फैसला एक संकल्प बन जाता है और इसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. यदि हमने सरकार को भेजने से पहले प्रस्ताव बदल दिया है तो इसका मतलब है कि इसके कुछ कारण हैं, जिन्हें मैं बता नहीं सकता. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी कई बार होता रहा है.

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पहले भी हुई है वरिष्ठता की अनदेखी
क्या कॉलेजियम के जज 'मेरा-अपना' करके किसी तरह की सौदेबाजी करते हैं तो उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है. 'मेरा उम्मीदवार, आपका उम्मीदवार' ऐसा कभी नहीं रहा. मैं नवंबर 2016 में कॉलेजियम में आया और ऐसा कभी नहीं हुआ. कॉलेजियम की बैठकें लगभग गरिमापूर्ण तरीके से हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए वरिष्ठता की अनदेखी के सवाल पर सीजेआई ने कहा ऐसा कई बार हुआ है कि जिनमें योग्यता को देखते हुए वरिष्ठता की अनदेखी की गई है. यह असामान्य बात नहीं है और यह सालों से हो रहा है.

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जजों की नियुक्ति में सरकार रोड़ा नहीं
क्या सरकार जजों की नियुक्ति में रोड़ा अटकाती है? इस सवाल के जवाब में सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि नहीं, बिल्कुल नहीं. लोगों को लगता है कि सरकार फाइलों को रख लेती है. नियुक्ति के लिए केवल 30 प्रस्ताव सरकार के पास हैं, इसके अलावा सरकार जल्दी ही नियुक्तियां भी देती है. लगभग 65 प्रस्ताव कॉलेजियम को वापस भेजे गए हैं और वे हमारे पास लंबित हैं. हमने सरकार से कहा है कि जब हम प्रस्ताव भेजते हैं तो उस पर बैठे ना रहें. यदि आपको कोई समस्या है तो हमें भेजें. हालही हमारे द्वारा भेजी गई कुछ सिफारिशों को सिर्फ कुछ दिनों में मंजूरी दे दी गई.

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सीजेआई से पूछा गया कि लंबित मामलों की संख्या कैसे कम होगी? इस पर उन्होंने कहा कि इसके लिए एड डॉक जजों की नियुक्ति जल्द होगी. अगर सरकार नहीं करती है तो सुप्रीम कोर्ट इसके लिए आदेश जारी करेगा. हाईकोर्ट में जजों के लगभग 400 पद हैं, लेकिन वहां से जजों के नामों की सिफारिश कम हो रही है. इसलिए मैंने इस प्रक्रिया को गति देने के लिए हाईकोर्ट के सभी मुख्य न्यायधीशों को लिखा है. मेरे सीजेआई बनने के बाद 82 जजों ने पद संभाला है.

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