प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि आरक्षण की व्यवस्था को लेकर उन्हें ‘आपत्तियां’ हैं. उन्होंने दलील दी कि महिलाओं को राजनीति में अपने दम पर जगह बनानी चाहिए क्योंकि आरक्षण से सिर्फ कुछ नेताओं की बेटियों और पत्नियों को मदद मिलेगी. शर्मा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विपक्षी दल , खासकर कांग्रेस , सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले महिला आरक्षण विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित कराया जाए.
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उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से ‘भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में कहा , ‘अगर मुझसे पूछें तो मुझे आरक्षण को लेकर आपत्ति है. मेरे और आप जैसे लोगों को आरक्षण की मदद से राजनीति में प्रवेश करने में मुश्किल होगी. हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा. इससे सिर्फ कुछ नेताओं की बेटियों और पत्नियों को मदद मिलेगी.’ शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि देश की 50 फीसदी जनसंख्या (महिलाओं) के सशक्तीकरण की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘यदि 50 फीसदी आबादी को राजनीतिक तौर पर सशक्त नहीं किया गया तो हम कैसे विकसित होंगे? यह संभव ही नहीं है. निर्वाचन करना और निर्वाचित होना महिलाओं का अधिकार है.’ शर्मा ने कहा, ‘वे अमूमन चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को जानती ही नहीं हैं. वे नहीं जानतीं कि किसी व्यक्ति को किस आधार पर चुना जाना चाहिए. यदि हम यह ही नहीं जानेंगे कि सही व्यक्ति को कैसे चुना जाए तो कौन सुनिश्चित करेगा कि हमें हमारे अधिकार मिले?’
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उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत स्तर पर कई ऐसी महिलाएं चुनी गई हैं जिन्हें अपने काम के बारे में कुछ पता ही नहीं है. संभवत: राजद नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का हवाला देते हुए शर्मा ने कहा, ‘आपने देखा कि एक महिला बिहार की मुख्यमंत्री बनी. लेकिन सरकार उनके पति ने चलाई. क्या वह उस तरह काम कर पाईं जैसा वह चाहती थीं?’महिला आयोग की प्रमुख ने कहा कि अगर महिलाएं राजनीति में कदम रखना चाहती हैं तो उन्हें परिवार से जुड़ी चिंताओं को अलग रखना होगा.
VIDEO: महिला आरक्षण बिल पर राजनीति, राहुल ने लिखी पीएम को चिट्ठी
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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उन्होंने कहा, ‘यदि 50 फीसदी आबादी को राजनीतिक तौर पर सशक्त नहीं किया गया तो हम कैसे विकसित होंगे? यह संभव ही नहीं है. निर्वाचन करना और निर्वाचित होना महिलाओं का अधिकार है.’ शर्मा ने कहा, ‘वे अमूमन चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को जानती ही नहीं हैं. वे नहीं जानतीं कि किसी व्यक्ति को किस आधार पर चुना जाना चाहिए. यदि हम यह ही नहीं जानेंगे कि सही व्यक्ति को कैसे चुना जाए तो कौन सुनिश्चित करेगा कि हमें हमारे अधिकार मिले?’
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