
प्रतीकात्मक फोटो
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शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल किया
निकाह हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक
इन प्रथाओं पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए
हलफनामे में कहा गया, ‘‘तीन तलाक (तलाक-ए-बिदत), निकाह हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक हैं क्योंकि वे मुस्लिम महिलाओं (या मुस्लिम समुदाय में ब्याही गई महिलाओं) के अधिकारों का हनन करते हैं, जो उनके और उनके बच्चों के लिए नुकसानदेह होता है. लिहाजा, इन प्रथाओं पर सख्ती से पाबंदी लगाई जानी चाहिए.’’ आयोग ने हलफनामे में यह भी कहा कि वह पिछले महीने उच्चतम न्यायालय में केंद्र की ओर से अपनाए गए रुख का समर्थन करता है.
हलफनामे के मुताबिक, ‘‘राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार के रुख का समर्थन करता है और उनकी ओर से दाखिल हलफनामे को सही मानता है.’’ राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा कि न्यायालय के समक्ष उसने अपना यह पक्ष तब रखा है जब पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने आयोग से कई शिकायतें कीं.
हलफनामे के मुताबिक, ‘‘एकतरफा तलाक की प्रथा से पीड़ित रहीं महिलाओं से जुड़े ढेरों मामलों को आयोग उठा रहा है.’’ तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय में चल रहे एक मामले में आयोग एक प्रतिवादी है. आयोग ने पिछले शनिवार को अपना हलफनामा दाखिल किया.
केंद्र ने अक्तूबर में न्यायालय को दिए अपने जवाब में मुस्लिम समुदाय की तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं का विरोध किया था और लैंगिक समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधारों पर इन पर विचार करने की वकालत की थी. उच्चतम न्यायालय तीन तलाक के खिलाफ दायर कई याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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