80 फीसदी भुगतान करने के बाद भी लोगों को जेपी इंफ्रा से घर नहीं मिला है
नोएडा:
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका (इंसोल्वेंसी पिटीशन) स्वीकार कर ली है. यानी जेपी इंफ्राटक के दिवालिया घोषित होनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस ख़बर के सामने आने के बाद शुक्रवार को फ़्लैट ख़रीदारों ने नोएडा सेक्टर- 128 स्थिति जेपी ग्रुप के कॉरपोरेट ऑफिस के सामने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया.
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सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद 65 साल के बलदेव सचदेव ने सोचा कि रिटायर के पैसे से अपना घर खरीद लें ताकि बुढ़ापा आराम से गुज़ारेंगे. उन्होंने 2010 में जेपी के कॉसमॉस प्रोजेक्ट में घर बुक कराया. लेकिन 80 फीसदी पैसा देने के बाद घर अब तक नहीं मिला. बलदेव का कहना है कि उन्होंने तो रिटायरमेंट का सारा पैसा लगा दिया फिर भी किराए पर रह रहे हैं, और ये बिल्डर उनके पैसे पर गाड़ियों में घूमते हैं. घर खरीदारों से ही बात भी नहीं करते. बलदेव की तरह दूसरे ख़रीदारों ने सुनवाई ना होने की वजह से जेपी के दफ़्तर के सामने सड़क ही जाम कर दी.
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दरअसल पूरा मामले ये है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक के कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका स्वीकार कर ली है. जेपी को आईडीबीआई के 4000 करोड़ रुपये चुकाने हैं. इसके लिए जेपी को 180 दिन की मोहलत दी जाएगी जिसमें उसे अपना कर्ज लौटाने का रोडमैप देना होगा.
VIDEO: तीन और बड़े बिल्डरों की संपत्ति होगी नीलाम जेपी इंफ्रा रोडमैप देने में फेल होता है तो अगले 90 दिनों के नोटिस के बाद जेपी इंफ्रा को दीवालिया घोषित किया जाएगा. और फिर जेपी इंफ्राटेक की संपत्तियों को नीलाम किया जाएगा. जेपी को 32,000 लोगों को घर बनाकर देने हैं. यदि जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित किया जाता है तो इसका सबसे बड़ा असर ग्राहकों पर पड़ेगा.
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सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद 65 साल के बलदेव सचदेव ने सोचा कि रिटायर के पैसे से अपना घर खरीद लें ताकि बुढ़ापा आराम से गुज़ारेंगे. उन्होंने 2010 में जेपी के कॉसमॉस प्रोजेक्ट में घर बुक कराया. लेकिन 80 फीसदी पैसा देने के बाद घर अब तक नहीं मिला. बलदेव का कहना है कि उन्होंने तो रिटायरमेंट का सारा पैसा लगा दिया फिर भी किराए पर रह रहे हैं, और ये बिल्डर उनके पैसे पर गाड़ियों में घूमते हैं. घर खरीदारों से ही बात भी नहीं करते. बलदेव की तरह दूसरे ख़रीदारों ने सुनवाई ना होने की वजह से जेपी के दफ़्तर के सामने सड़क ही जाम कर दी.
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दरअसल पूरा मामले ये है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक के कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका स्वीकार कर ली है. जेपी को आईडीबीआई के 4000 करोड़ रुपये चुकाने हैं. इसके लिए जेपी को 180 दिन की मोहलत दी जाएगी जिसमें उसे अपना कर्ज लौटाने का रोडमैप देना होगा.
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