नई दिल्ली:
क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिध्दू सोमवार को अपने पत्ते खोल सकते हैं और ये बता सकते हैं कि आखिर उन्होंने बीजेपी क्यों छोड़ी और अब इसके बाद किस पार्टी में जा रहे हैं। सिध्दू सोमवार को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं।
हालांकि माना जा रहा है कि नवजोत सिद्धू अपनी प्रेस कांफ्रेंस में किसी पार्टी में शामिल होने का ऐलान शायद नहीं करेंगे क्योंकि आम आदमी पार्टी सूत्रों का दावा है कि इस प्रेस कांफ्रेंस के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है। वैसे भी ये बात भी है कि अगर सिध्दू आप में शामिल होंगे तो वह प्रेस कांफ्रेंस आप की बुलाई होगी सिध्दू की नहीं।
संभावना है कि सिध्दू सोमवार को दिल्ली में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में अपना फोकस बीजेपी पर रखें और बताएं कि आखिर जिस पार्टी ने उनको राजनीति में पहचान दी, दो बार अमृतसर का लोकसभा टिकट और हाल ही में राज्य सभा की सदस्यता दी उसको सिध्दू आखिर क्यों छोड़ गए..? गौरतलब है कि सिद्धू ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा था, 'सम्मानीय प्रधानमंत्री के कहने पर मैंने पंजाब के कल्याण के लिए राज्यसभा का मनोनयन स्वीकार किया था लेकिन पंजाब के लिए हर खिड़की बंद होने के साथ उद्देश्य धराशायी हो गया। अब यह महज बोझ रह गया। मैंने इसे नहीं ढोना सही समझा।' उन्होंने कहा, 'सही और गलत की लड़ाई में आप आत्मकेंद्रित होने के बजाय तटस्थ नहीं रह सकते।'
हालांकि माना जा रहा है कि नवजोत सिद्धू अपनी प्रेस कांफ्रेंस में किसी पार्टी में शामिल होने का ऐलान शायद नहीं करेंगे क्योंकि आम आदमी पार्टी सूत्रों का दावा है कि इस प्रेस कांफ्रेंस के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है। वैसे भी ये बात भी है कि अगर सिध्दू आप में शामिल होंगे तो वह प्रेस कांफ्रेंस आप की बुलाई होगी सिध्दू की नहीं।
संभावना है कि सिध्दू सोमवार को दिल्ली में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में अपना फोकस बीजेपी पर रखें और बताएं कि आखिर जिस पार्टी ने उनको राजनीति में पहचान दी, दो बार अमृतसर का लोकसभा टिकट और हाल ही में राज्य सभा की सदस्यता दी उसको सिध्दू आखिर क्यों छोड़ गए..? गौरतलब है कि सिद्धू ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा था, 'सम्मानीय प्रधानमंत्री के कहने पर मैंने पंजाब के कल्याण के लिए राज्यसभा का मनोनयन स्वीकार किया था लेकिन पंजाब के लिए हर खिड़की बंद होने के साथ उद्देश्य धराशायी हो गया। अब यह महज बोझ रह गया। मैंने इसे नहीं ढोना सही समझा।' उन्होंने कहा, 'सही और गलत की लड़ाई में आप आत्मकेंद्रित होने के बजाय तटस्थ नहीं रह सकते।'
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