नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पर्यावरण मंत्रालय (Environment Ministry) की एक समिति की उस रिपोर्ट पर देरी के लिए मंत्रालय को लताड़ लगाई है जिसका गठन टायर, सीसा और पीसीबी सहित खतरनाक अपशिष्टों (Hazardous waste) के आयात की समीक्षा करने के लिए किया गया था. NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (Justice Adarsh Kumar Goel) की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर कोई मामला किसी तार्किक नतीजे तक नहीं पहुंचे तो केवल समिति गठित करने से कुछ हल नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, वन्यजीवों के जुड़े मामलों की सुनवाई NGT में क्यों नहीं होती?
ट्रिब्यूनल ने कहा कि ऐसा कहा गया है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MOEF) ने एक वर्ष से ज्यादा समय पहले एक समिति गठित की थी, लेकिन कोई कारण नहीं बताया गया कि रिपोर्ट क्यों नहीं सौंपी गई?दरअसल पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 29 नवंबर 2019 को एक समिति गठित की थी जिसे टायर, कपड़ा, सीसा, तेल, कागज जैसे अन्य अपशिष्ट पदार्थों से जुड़ी आयात और निर्यात नीतियों की समीक्षा करनी थी.
ट्रिब्यूनल ने कहा कि समिति ने अब भी कागज अपशिष्ट के आयात पर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है.उसने जल्द रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए.NGT दरअसल अमित जैन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका, यूरोप और अन्य स्थानों से खराब गुणवत्ता वाला अपशिष्ट कागज और सड़क सफाई का कचरा यहां ईंट भट्टों में जलने के लिए आता है जिससे वायू प्रदूषण होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर अगले आदेश तक लगाई रोक
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं